Friday, 28 August 2015

वार्ता रद्द होने पर पाकिस्तान में मिलाजुला असर

भारत-पाक के बीच एनएसए स्तरीय बातचीत टूटने पर सीमा पार में मिक्सड रिएक्शन हुआ है यानि कि खुशी भी है और आलोचना भी हो रही है। पहले बात करते हैं खुशी की। बातचीत टूटने पर सीमा पार जश्न मना। सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, पाकिस्तान रेंजर्स और आतंकी संगठन हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियों (आईबी, मिलिट्री इंटेलीजेंस और रॉ) ने इस संबंध में सरकार को विस्तृत रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के मुताबिक एनएसए स्तर की बातचीत रद्द होने की घोषणा के तुरन्त बाद पाकिस्तान सीमा पर बड़ा जमावड़ा देखा गया। आतिशबाजी की गई, मिठाइयां भी बंटी। पाक रेंजर्स के डीजी रहे मौजूदा आईएसआई प्रमुख रिजवान अख्तर का संदेश दो मेजरों ने माइक पर पढ़कर सुनाया। इस दौरान लश्कर--तैयबा का कमांडर अबू राशिद खान और उसकी टीम भी मौजूद थी। संदेश थाöहमने दोनों मुल्कों के बीच बातचीत रुकवा दी है। अब आप ज्यादा से ज्यादा फायरिंग करो, घुसपैठ कराओ। खुफिया एजेंसियों ने इस घटनाक्रम का वीडियो फुटेज गृह मंत्रालय को दिया है। आने वाले तीन महीनों में बीएसएफ पोस्ट पर पाक रेंजर्स सघन गोलीबारी करेंगे ताकि आतंकी घुसपैठ कर सकें। अब बात करते हैं आलोचना की। बातचीत टूटने पर नवाज शरीफ सरकार को पाकिस्तान के भीतर भी तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पाक के अधिकांश अखबारों ने अपने सम्पादकीय व सम्पादकीय पेज पर छपे विशेषज्ञों की राय में शरीफ सरकार को आड़े हाथों लिया है। सबसे अधिक आलोचना ऊफा समझौते में कश्मीर का उल्लेख न करने और बाद में आईएसआई व सेना के दबाव में इस मुद्दे पर अड़ने को लेकर हो रही है। पाक के प्रतिष्ठित अखबार द डॉन के सम्पादकीय पेज पर छपे लेख के शीर्षक में ही बातचीत रद्द करने के लिए सीधे तौर पर नवाज शरीफ को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसी अखबार में सिरिल अलमेडा ने लिखा है कि इस वक्त पर कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोई तुक नहीं थी। उनके अनुसार ऊफा में भारत की शर्त के आगे झुकते हुए शरीफ कश्मीर को छोड़कर आतंकवाद पर बात करने के लिए राजी हो गए थे। लेकिन वापस लौटने के बाद सेना व आईएसआई का दबाव झेल नहीं पाए। सिरिल ने सीधे सेना और आईएसआई का नाम नहीं लिखा है, उसकी जगह लड़कों शब्द का प्रयोग किया है, लेकिन इशारा साफ है। द न्यूज अखबार ने ऊफा में अहम मुद्दों पर पारदर्शी बातचीत न करने और उसे आम जनता को सही तरीके से नहीं समझाने के लिए अपनी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। अखबार के अनुसार इससे स्थिति और उलझ गई है जबकि पाकिस्तान आब्जर्वर में छपे लेख में एम. जियायुद्दीन ने हुर्रियत नेताओं से मुलाकात के लिए सरताज अजीज के अड़ने की आलोचना की है। उन्होंने लिखा है कि हुर्रियत नेताओं से मुलाकात के कारण ही ठीक एक साल पहले भारत सचिव स्तर की बातचीत रद्द कर चुका है। ऐसे में शरीफ सरकार ने कैसे सोच लिया कि इस बार ऐसा करने पर वह  बातचीत के लिए तैयार हो जाएंगे? पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने डॉन अखबार से कहा है कि अगर भारत के लिए कश्मीर मुद्दा नहीं है तो उसने वहां सात लाख सैनिक क्यों तैनात किए हुए हैं? बातचीत रद्द होने के कारण उन्होंने कहा कि पूरा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मानता है कि कश्मीर दो देशों के बीच की समस्या है जिसका समाधान निकलना चाहिए।

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