मुंबई
हमले (26/11) के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा का प्रमुख हाफिज सईद भारत के खिलाफ आतंकी साजिश
से बाज नहीं आ रहा है। उधमपुर हमले में जिन्दा पकड़े जाने वाले नावेद के अनुसार खुद
हाफिज सईद प्रशिक्षण शिविर में आतंक का पाठ पढ़ाता था। इसके साथ ही आतंकियों को सईद
के जहरीले भाषणों की वीडियो भी दिखाई जाती थी। आतंकी नावेद ने कई बातें उगली हैं। उसके
लाई डिटेक्टर टेस्ट से कई खुलासे हुए हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों के मुताबिक पूछताछ में नावेद ने
कबूला कि वह प्रशिक्षण के दौरान आईएसआई के बड़े अधिकारियों से मिला था। इनमें अबु तल्हा
भी शामिल है। हालांकि इससे पहले वह पूछताछ में कश्मीर में अपने सम्पर्कों को लेकर झूठ
बोल रहा था। यह पूछे जाने पर कि लाई डिटेक्टर टेस्ट में निकली कितनी बातें सच होंगी,
जांच अधिकारियों ने कहा कि नावेद पाकिस्तान में अपने घर-परिवार, लश्कर-ए-तैयबा और उसके आतंकियों के बारे में सही-सही जानकारी
दे रहा है। अपने पते का जिक्र वह पहले कर चुका है और उसके सबूत भी मिल चुके हैं। परीक्षण
के दौरान सवालों में इसे दोहराया गया और सौ फीसदी एक ही जवाब मिला। हालांकि पॉलीग्राफ
टेस्ट की अंतिम रिपोर्ट का अब अधिकारी इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद एनआईए और खुफिया
एजेंसियों के अधिकारी उससे नए सिरे से पूछताछ करेंगे। लाई डिटेक्टर टेस्ट से यह साफ
हो गया है कि वह पाकिस्तान के फैसलाबाद का रहने वाला है और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अबु कासिम ने उसे प्रशिक्षण दिया था।
कश्मीर में पकड़े जाने के दो महीने पहले उसने तीन अन्य आतंकियों के साथ सीमा पार की
थी। लेकिन कश्मीर में गुजारे दो महीने के बारे में वह कई बातें छिपा रहा है। नावेद
और उसके साथियों ने 6-7 जून को लश्कर के तीन अन्य आतंकियों के
साथ तंगमार्ग क्षेत्र की नूरी चौकी से कश्मीर में घुसपैठ की थी। नावेद ने बताया कि
उसने मंकजी खैबर स्थित आतंकी शिविर में तीन महीने तक ट्रेनिंग ली। इस शिविर में
20 से 25 आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई। यहां पाक
सेना और आईएसआई के अफसर उन्हें जेहाद के गुर सिखाते थे। हाफिज सईद के भाषणों के वीडियो
भी उन्हें बार-बार दिखाकर जेहाद के लिए प्रेरित किया जाता था।
नावेद ने बताया कि उसके पिता का नाम मोहम्मद याकूब है और वह पाकिस्तानी पंजाब के रफीक
कॉलोनी, गुलाम मोहम्मदाबाद, टोकियान वाली,
जिला फैसलाबाद का रहने वाला है। नावेद के अनुसार उसके माता-पिता आतंकी बनने से खुश नहीं थे, लेकिन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने धमकी देकर उन्हें चुप करा दिया
था।
-अनिल नरेन्द्र
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