दिल्ली
की केजरीवाल सरकार ने कुछ बड़े अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का जो फैसला
किया है वह सराहनीय है। सरकार ने फोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट, धर्मशिला कैंसर इंस्टीट्यूट,
साकेत स्थित मैक्स, पुष्पावती सिंघानिया और शांति
मुपुंद अस्पताल पर 600 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। इन अस्पतालों
पर आर्थिक रूप से पिछड़े मरीजों और जरूरतमंदों का इलाज नहीं करने का आरोप है। अस्पताल
बनने से लेकर वर्ष 2007 तक कम आय वर्ग के मरीजों को निशुल्क इलाज
न देने पर यह जुर्माना लगाया है। इन पांच निजी अस्पतालों को 9 जुलाई तक 600 करोड़ रुपए जमा करने का आदेश दिया गया है।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक (ईडब्ल्यूएस)
डॉ. हेम प्रकाश ने कहा कि सभी प्रमुख पांच अस्पतालों
को वर्ष 1990 के दशक में इस शर्त पर रियायती जमीन दी गई थी कि
ये गरीब वर्ग के मरीजों का मुफ्त इलाज करेंगे। सभी अस्पतालों ने इस आदेश का उल्लंघन
किया है। इससे पहले वर्ष 2015 के दिसम्बर महीने में भी इस बाबत
अस्पतालों को नोटिस भेजा जा चुका था, जिसका पालन नहीं किया गया।
इन्हें लगातार नोटिस दिए जाने पर भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उनका कहना है कि सरकार
गरीबों के इलाज को लेकर बेहद गंभीर है और निजी अस्पतालों ने तय शर्तों का उल्लंघन किया
है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने यह भी कहा कि अगर ये अस्पताल एक
महीने के अंदर जुर्माने की रकम नहीं भरते हैं तो उन पर आगे की कार्रवाई होगी। सरकार
ने अब तक कुल 43 निजी अस्पतालों को कम कीमत पर जमीन इस शर्त पर
मुहैया कराई है कि वो अस्पतालों में 10 फीसदी बैड गरीबों के लिए
आरक्षित रखेंगे। इन बड़े निजी अस्पतालों में गरीब मरीजों के हक में लड़ाई लड़ रहे दिल्ली
हाई कोर्ट के वकील अशोक अग्रवाल का कहना है कि उन्होंने कोर्ट में सैकड़ों ऐसे गरीब
मरीजों के कागजात जमा कराए हैं, जिनका इलाज करने से अस्पतालों
ने मना कर दिया था। ये सबूत अपने आपमें पूरा मामला बताने के लिए काफी हैं। बता दें,
अग्रवाल इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से गठित एक देखरेख समिति
के सदस्य भी हैं। उधर मैक्स और धर्मशिला कैंसर अस्पताल के आधिकारिक बयान में कहा गया
है कि गरीब मरीजों के लिए बनाए गए चैरिटेबल फाउंडेशन के तहत सभी को इलाज दिया जाता
है। अस्पताल प्रशासन ने सरकार के आदेश के खिलाफ कोर्ट में जाने की बात कही है। वहीं
सरकार में बैठे सूत्र ये बता रहे हैं कि अभी तो सिर्प पांच अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई
शुरू हुई है। ये फेहरिस्त लंबी है और बाकी निजी अस्पतालों के खिलाफ भी जल्दी ही सरकार
डंडा चला सकती है।
-अनिल नरेन्द्र
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