Sunday 12 June 2016

आप विधायकों ने उपराज्यपाल को भ्रष्ट बताया

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर तकरार का इतिहास पुराना है पर बृहस्पतिवार को एक अभूतपूर्व वाकया घटा। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। आप विधायकों ने उपराज्यपाल नजीब जंग पर बुराड़ी में एक राशन की दुकान का लाइसेंस रद्द व बहाल करने के मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगा डाला। विधायक संजीव झा की मांग पर इस मामले में सदन में चर्चा भी हुई जिसमें उपराज्यपाल को भ्रष्ट और भाजपा की दलाली करने वाला जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया। संजीव झा ने कहा कि उपराज्यपाल ने ऐसे कानून का हवाला देकर लाइसेंस बहाली का आदेश पारित कर दिया जो 2001 और 2015 में खत्म हो गया। ये भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)(डी) और आईपीसी की धारा 420, 409 और 120बी के तहत दोषी हैं। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। विधायकों ने मैसर्स जनता प्रोविजनल स्टोर का रद्द लाइसेंस बहाल करने में बरती गई अनियमितता की जांच के लिए नौ सदस्यीय विशेष कमेटी गठित करने का प्रस्ताव रखा जो पास भी हो गया। अब समिति मैसर्स जनता प्रोविजनल स्टोर का लाइसेंस कैंसिल करने की प्रक्रिया में गड़बड़ी, उपराज्यपाल की तरफ से रद्द लाइसेंस को बहाल करने के लिए दिए गए आदेश की सत्यता और बहाली की गलत मंशा, लाइसेंस बहाली में रिश्वत का आरोप, इस तरह की अन्य शिकायतों की जांच, जांच में सामने आने वाले कुछ अन्य मामले की जांच करेगी। दूसरे शब्दों में दिल्ली सरकार अब उपराज्यपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है और इसकी जांच भी करेगी। शांत स्वभाव और तहजीबदार उपराज्यपाल नजीब जंग भी इस जांच व आरोपों के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया देने पर मजबूर हो गए। इसमें उपराज्यपाल ने बहादुर शाह जफर के एक शेअर से अरविन्द केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहाöउम्र--दराज मांग कर चले थे चार रोज, दो आरजू में कट गए, दो इंतजार में। इसमें मतभेद के कारण समय खराब करने का जिक्र है। उपराज्यपाल कार्यालय के अनुसार बुराड़ी में उचित दर की दुकान संख्या 8689, विधवा रजनी को आबंटित की गई थी। उपराज्यपाल न्यायालय में सुनवाई के दौरान बताया गया कि 24 अप्रैल 2015 को बुराड़ी के विधायक ने समर्थकों के साथ मिलकर उचित दर की दुकान की कार्यप्रणाली को बाधित किया और वहां रखे अनाज को जबरन लोगों में बांट दिया। इसमें अपीलीय अधिकारी के तौर पर उपराज्यपाल ने दुकान मालिक पीड़ित विधवा पर खाद्य आपूर्ति विभाग समेत सभी पक्षों को सुनने के बाद ही आदेश जारी किया, जिसमें लाइसेंस बहाली के आदेश के तहत पुलिस आयुक्त को जांच के आपराधिक गतिविधि पाए जाने पर मामले की छानबीन का आदेश भी दिया। उपराज्यपाल ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, दिल्ली सरकार की खराब कार्यप्रणाली पर भी टिप्पणी की और मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि वह इस मामले में तहकीकात करें। वहीं नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आप विधायकों या सरकार को कोई आपत्ति है तो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाएं। लेकिन इस तरह से सदन में उपराज्यपाल के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों व शब्दों का इस्तेमाल न करें। हमारा भी मानना है कि अगर आप विधायकों को कोई अनियमितता नजर आ रही है तो वह इसकी जांच कर साबित करें पर उपराज्यपाल पर भ्रष्टाचार जैसे आरोपों से उन्हें बचना चाहिए। कम से कम पद की गरिमा का तो ध्यान रखें। आप उपराज्यपाल को भ्रष्ट नहीं कह सकते।

-अनिल नरेन्द्र

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