मई
के महीने में थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 0.79 फीसद तक पहुंच गई। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार
खाद्य महंगाई दर भी करीब दोगुना बढ़कर 7.88 फीसद के स्तर पर पहुंच
गई। अप्रैल में यह 4.23 फीसद थी। दालों और सब्जियों की लगातार
बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। दालों के दाम पहले ही आसमान छू रहे थे,
अब कुछ दिनों में टमाटर समेत कई अन्य सब्जियों में भी तेजी आ गई है।
महंगाई तेजी से बढ़ रही है। देश के कुछ हिस्सों में तो टमाटर की कीमत 100 रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच गई है। मंगलवार को जारी थोक महंगाई दर के आंकड़ों
के मुताबिक सब्जियों के दामों में 12.94 फीसद की भारी वृद्धि
दर्ज हुई है। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में बारिश की कमी के चलते टमाटर की फसल प्रभावित
हुई है। इसी वजह से दाम बढ़े हैं। टमाटर की कीमतों की चर्चा करते हुए खाद्य मंत्री
रामविलास पासवान ने कहा कि इसकी कीमत बढ़ने का कारण मौसमी और स्थानीय है। अभी टमाटर
का मौसम नहीं है और इस समय सीमित इलाकों में इसकी खेती होती है। दिल्ली की आजादपुर
मंडी में सब्जियों के दामों में पिछले 10 दिनों में
15 से 50 फीसद तक की बढ़ोत्तरी हुई है। टमाटर के
दाम सबसे तेजी से बढ़े हैं। दालों की कीमत 170 रुपए और कई जगह
200 रुपए प्रतिकिलो पहुंचने पर बुधवार को केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण
जेटली के आवास पर एक उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें महंगाई को काबू करने के उपाय तलाशने
के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, खाद्य मंत्री रामविलास पासवान,
नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण तथा वेंकैया नायडू
ने भाग लिया। बैठक में दाल-सब्जियों की कीमतों में तेजी के कारण
और उनको काबू में रखने के संभावित विकल्पों पर चर्चा की गई। दूसरी ओर कर्ज सस्ता होने
की उम्मीद धूमिल हुई है। वह भी उस सूरत में जब अप्रैल माह में औद्योगिक उत्पादन की
वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गई। टमाटर और दालों की कीमतों ने तो सभी की पेशानी पर
चिन्ता की लकीरें खींच डाली हैं। चूंकि थोक महंगाई का वैश्विक जिन्सों पर असर भी पड़ता
है, इसलिए तमाम अंदेशे हैं। अगर कच्चे तेल का मूल्य मौजूदा स्तर
पर कायम रहता है तो औसत थोक मूल्यों पर आधारित सूचकांक तीन फीसद का स्तर पार कर सकता
है। कुछ आर्थिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि खाद्य उत्पादों के दामों में निरंतर बढ़ोत्तरी
के रुख के मद्देनजर आपूर्ति पक्ष को मजबूत किया जाना चाहिए। अब तो सबकी नजरें आसमान
पर टिकी हुई हैं, मानसून पर। अगर अच्छा मानसून आता है तो आने
वाले दिनों में फौरी तौर पर थोक मूल्य मुद्रास्फीति में गिरावट आ सकती है।
-अनिल नरेन्द्र
No comments:
Post a Comment