Wednesday 15 June 2016

अमेरिकी इतिहास में अब तक का सबसे भयावह आतंकी हमला

9/11 के आतंकी हमले के बाद अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित एक समलैंगिक नाइट क्लब में आईएस के एक समर्थक द्वारा अंधाधुंध फायरिंग दूसरा सबसे बड़ा हमला है। इस हमले में करीब 50 लोगों की मौत हुई जबकि 53 लोग घायल हो गए। करीब चार घंटे तक चली मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने आईएस समर्थक हमलावर उमर मतीन को ढेर कर दिया। पुलिस ने रविवार को बताया कि अमेरिकी इतिहास में यह अब तक का सबसे भयावह गोलीबारी कांड है। अधिकारियों के अनुसार 29 वर्षीय मतीन आतंकी संगठन आईएस का समर्थक था और वह एफबीआई के राडार पर था। अमेरिकी समयानुसार हमलावर सुबह करीब दो बजे ओरलैंडो के पल्स नाइट क्लब में घुसा और घुसते ही गोलियां चलानी शुरू कर दीं। दरअसल यह भी कहा जा रहा है कि हमले को धार्मिक रंग देना ठीक नहीं है। मतीन को समलैंगिकों से नफरत थी। महीनेभर पहले मियामी में जब उसने दो पुरुषों को किस करते देखा था तो उसे बहुत गुस्सा आया, हो सकता है कि उसने यह हमला भी इसी की प्रतिक्रिया में किया हो? एफबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि मतीन अमेरिकी नागरिक है। माता-पिता अफगानिस्तान के हैं। उसके पास से असाल्ट राइफल, हैंडगन मिले हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उसने लगातार 40-50 गोलियां चलाई। नौ पुलिस अफसर वहां पहुंचे और विस्फोट किया, जिससे हमलावर का ध्यान बंधकों से हटा और 30 बंधकों को सुरक्षित निकाल लिया गया। शहर में 24 घंटे के भीतर यह दूसरी घटना है। 50 बेगुनाहों का खून बहाने वाले उमर मतीन ने वारदात को अंजाम देने से पहले 911 को फोन कर इस्लामिक स्टेट के प्रति अपनी निष्ठा जताई थी। एनबीसी न्यूज ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि मतीन ने इस्लामिक स्टेट के सरगना अबू बकर अल-बगदादी के प्रति वफादारी निभाने की बात कही थी। उधर इस्लामिक स्टेट से संबद्ध ट्विटर अकाउंट ने ओरलैंडो नाइट क्लब के हमलावर उमर एस. मतीन की फोटो पोस्ट की है। फोटो के कैप्शन में कहा गया है, यही वह व्यक्ति है जिसने फ्लोरिडा के ओरलैंडो नाइट क्लब के नरसंहार में कम से कम 50 लोगों की हत्या कर दी और दर्जनों को घायल किया। आस्थावान और शांतिप्रिय मुस्लिम रमजान के पाक महीने में रोजा रखकर सबकी खैर की दुआ करते हैं लेकिन आतंकी संगठन आईएस नहीं मानता। आईएस दुनियाभर में अपने समर्थकों से रमजान के दौरान और हमले करने को कहता है। आतंकी संगठन इसे पश्चिमी देशों जैसे अपने दुश्मनों पर हमले का माकूल वक्त मानता है। आईएस प्रवक्ता अबू मोहम्मद अल अदनानी रमजान से ठीक पहले जारी एक वीडियो में समर्थकों से ज्यादा से ज्यादा लोगों को निशाना बनाने की अपील करते देखा गया। अमेरिका में यह हमला ऐसे समय हुआ जब वहां राष्ट्रपति चुनाव प्रचार जोरों पर है। इस आतंकी हमले का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर सीधे तौर पर असर हो सकता है। राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में आगे चल रहे रिब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप पहले ही आतंकी घटनाओं पर अपने बयानों से चर्चा में रहे हैं और इस घटना के बाद उन्हें अपनी बात को सिद्ध करने का एक और मौका मिल गया है। इसका सीधा असर ट्रंप के पक्ष में हो सकता है। यह घटना ट्रंप को मजबूत करेगी। वह इस्लामिक आतंकवाद के मुखर विरोधी हैं। वह पहले ही कह चुके हैं कि अमेरिका में मुस्लिमों के प्रवेश को पूरी तरह बंद कर दिया जाना चाहिए। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी जनता से आतंकवाद के खिलाफ बेहद कड़ा रुख अपनाने का वादा भी कर रहे हैं। वह राष्ट्रपति बराक ओबामा की आतंकरोधी नीति को कमजोर बताते रहे हैं। पहले भी यह कहा जा रहा था कि अमेरिकी धरती पर एक भी आतंकी घटना ट्रंप के पक्ष में माहौल बना सकती है और असुरक्षित महसूस कर रहे अमेरिकियों का झुकाव तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद उनके पक्ष में हो सकता है। डोनाल्ड ट्रंप ने हमले के बाद अपनी प्रतिक्रिया में अपने पूर्व के बयान को सही ठहराया है। नाइट क्लब हमले पर उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हमें स्मार्ट होने के साथ कठोर और सतर्प रहना पड़ेगा। उन्होंने लिखाöडेमोकेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की संभावित उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन ने रविवार को कहा कि वह ओरलैंडो में हुई इस गोलाबारी की घटना से बेहद दुखी हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नाइट क्लब पर हमले को आतंक की हरकत करार देते हुए कहा कि यह घृणा का कृत्य है। ये अमेरिकी नागरिकों पर हमला है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि हमारे किसी भी नागरिक पर हमला सभी अमेरिकियों पर हमला माना जाएगा। ओरलैंडो में 50 लोगों की गोलीबारी में मौत के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए बराक ओबामा ने कहा कि हमें अभी हमलावर के मकसद के बारे में सटीक तौर पर कुछ भी पता नहीं है। एफबीआई मामले की जांच कर रही है। शूटिंग की वारदात भयंकर है। हम इस आतंकी हमले की सख्त शब्दों में निन्दा करते हैं और प्रभावित परिवारों से अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं। भारत तो इस इस्लामिक आतंकवाद से पहले से ही प्रभावित है। अमेरिका में तमाम सख्त एहतियाती कदमों के बावजूद ऐसी आतंकी घटना चौंकाने वाली है। यूरोप तो पहले से ही आईएस के निशाने पर था और पेरिस और बेल्जियम अटैक की तरह अमेरिका पर यह हमला दर्शाता है कि आईएस का खतरनाक जाल फैलता ही जा रहा है।

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