केंद्र में सत्तासीन
नरेंद्र मोदी सरकार के लिए यह अच्छी खबर है कि जितना अनुमान लगाया गया था, उससे कहीं अधिक विकास दर हासिल करने में वह कामयाब रही है। पिछले वित्त वर्ष
की आखिरी तिमाही में पांच वर्षों का रिकार्ड तोड़कर 7.9 फीसदी
पर पहुंची आर्थिक विकास दर ने अर्थव्यवस्था की बेहतरी की उम्मीद को जैसे पंख दे दिए
हैं। मोदी सरकार को पिछले दो सालों में कच्चे तेल की कीमत में भारी गिरावट का लाभ तो
मिला ही, भ्रष्टाचार और गैर जरूरी सब्सिडी पर अंकुश लगाते हुए
उसने आर्थिक मजबूती की दिशा में कई कदम उठाए। अब जनवरी-मार्च
की आर्थिक विकास दर का ताजा आंकड़ा दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था सही दिशा में
चल रही है। ऐसे समय में जब वैश्विक मंदी हो भारत की यह विकास दर सराहनीय है। यानि कुल
मिलाकर यह विकास दर का डॉटा दो साल पूरे करने वाली मोदी सरकार के लिए न सिर्प उत्साह
बढ़ाने वाला है, अपितु इससे जनता के बीच ढोल पीटने का इस सरकार
को एक आधार भी मिल गया है। इस कामयाबी पर मोदी सरकार अपनी पीठ थपथपा सकती है और अपने
विरोधियों को भी करारा जवाब दे सकती है कि उसने `अच्छे दिन'
लाने का जो वादा किया था, उसकी शुरुआत हो चुकी
है। हालांकि यह देखने की बात होगी कि जमीनी हकीकत में इस तरह की रिपोर्ट का आम जनता
को कितना फायदा पहुंचता है? सीएसओ की रिपोर्ट से एक और अहम बात
का पता चलता है कि भारत ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन पर अपनी बढ़त
बनाए रखी है। चीन में इस साल जनवरी-मार्च के दौरान जीडीपी दर
पिछले सात वर्ष के निचले स्तर पर खिसक कर 6.7 फीसदी तक रह गई
जबकि भारत में दिसम्बर क्वार्टर के 7.3 फीसदी के मुकाबले मार्च
क्वार्टर में जीडीपी दर बढ़ी है। हां तो हम बात कर रहे थे आम जनता के लिए इस बढ़ी विकास
दर का क्या फायदा है? जमीनी स्तर पर तो सेवा कर और ईंधन का खर्च
बढ़ने से आम जनता के लिए महंगाई की मार उलटा तेज हो गई है। एक जून से कृषि कल्याण सेस
लगने से सेवा कर की दर 14.5 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी होने से कई सेवाएं प्रभावित होंगी। पेट्रोल जो कि बीते मार्च में
56.11 रुपए प्रति लीटर बिक रहा था, वह लगभग नौ
रुपए बढ़कर 65.60 रुपए पर पहुंच गया है, वहीं डीजल 46.43 रुपए प्रति लीटर से साढ़े सात रुपए बढ़कर
53.93 प्रति लीटर पर पहुंच गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल
की कीमतें अब बढ़ने लगी हैं। इसका मतलब है कि आगामी दिनों में पेट्रो पदार्थों की कीमतों
में और वृद्धि हो सकती है। विमान ईंधन महंगा होने से हवाई यात्रा भी महंगी हो गई है।
एक जून से नेगटिक लिस्ट में शामिल वातानुकूल बसों की यात्रा पर सेवा कर, कृषि सेस लगने से रेलगाड़ियां या बस में वातानुकूल श्रेणी की यात्रा,
हवाई जहाज में यात्रा, रेस्टोरेंट में खाना,
बैंक और बीमा कंपनियों से मिलने वाली सेवाएं, शादी-ब्याह और बीमा कंपनियों से मिलने वाली सेवाएं अन्य उत्सव महंगे हो गए हैं।
जून की गर्मी का असर जनता की जेब पर दिख रहा है। गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर
की कीमत भी इस महीने 21 रुपए बढ़ गई है। पेट्रोलियम पदार्थों,
खासकर डीजल की मूल्यवृद्धि से किसानों से लेकर आम आदमी तक परेशान होता
है। डीजल महंगा होने से एक ओर जहां किसानों का सिंचाई एवं ट्रैक्टर चलाने का खर्च बढ़ता
है वहीं दूसरी ओर ट्रकों का भाड़ा बढ़ने की वजह से आलू-प्याज
व सब्जियों से लेकर तमाम खाद्य-अखाद्य वस्तुओं की परिवहन लागत
बढ़ जाती है। इससे आवश्यक वस्तुओं के दाम तो बढ़ेंगे ही, मुद्रास्फीति
भी ऊपर जाएगी, जिसका अर्थव्यवस्था की सेहत पर सीधा असर पड़ेगा।
यानि कुल मिलाकर जहां विकास दर बढ़ रही है वहीं महंगाई भी बढ़ती जा रही है।
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