Tuesday 21 June 2016

चीन ने भी माना भारत एनएसजी सदस्य बनने के करीब

भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में प्रवेश के बहुत करीब पहुंच गया है। अब तक अड़ंगेबाजी करने वाले चीन ने भी माना है कि भारत एनएसजी की सदस्यता हासिल करने के बेहद करीब है। चीन का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका, स्विट्जरलैंड, मैक्सिको व ग्रेट ब्रिटेन से समर्थन मिल चुका है लेकिन इस समूह में भारत के प्रवेश से दक्षिण एशिया में रणनीतिक संतुलन को धक्का लगेगा। साथ ही पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में भी शांति को खतरा पैदा होगा। इसके साथ ही उसने यह भी कहा कि उसका सर्वकालिक सहयोगी पाकिस्तान पीछे छूट जाएगा। भारत-पाक के बीच परमाणु संतुलन टूट जाएगा। चीन का कहना है कि एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत को इतना ज्यादा समर्थन मिलने के पीछे अहम कारण है अमेरिका। अमेरिका की वजह से भारत को एनएसजी की सदस्यता के लिए समर्थन मिल रहा है। उसका कहना है कि अमेरिका की ओर से भारत को अपने सहयोगी की तरह व्यवहार करने के चलते कुछ देशों का समर्थन मिला है। चीन को असल दिक्कत इस बात से है कि अगर भारत एनएसजी का सदस्य बन गया तो दक्षिण एशिया में भारत का प्रभुत्व बढ़ेगा। भारत को हमेशा अपने से कमजोर, कमतर समझने वाला चीन उसे अपने समकक्ष नहीं चाहता। भारत की सदस्यता से पड़ोस में अमेरिकी दखल भी बढ़ जाएगा। बता दें कि यहां वीटो वाला मामला तो नहीं है लेकिन एनएसजी की एकमात्र शर्त हैöआम सहमति। इसलिए उसका मानना जरूरी है। सीधे दबाव बनाने के साथ-साथ चीन अब पाकिस्तान जैसे छोटे देशों को भी उकसा रहा है। इनमें से न्यूजीलैंड पैंतरा बदलकर भारत के पक्ष में आ गया है। संभावना है कि तुर्की और अफ्रीका भी साथ आ सकते हैं। अमेरिका के समर्थन के पीछे उसकी कूटनीति और आर्थिक नीति है। वो भारत को चीन के समकक्ष खड़ा करना चाहता है। वहीं वो भारत में तीन रिएक्टर भी लगाना चाहता है। इसके लिए जरूरी परमाणु सामग्री भारत को आसानी से मिल सकेगी। एनएसजी का सदस्य बनने से भारत को परमाणु तकनीक और यूरेनियम बिना किसी विशेष समझौते से हासिल हो सकेगा। परमाणु संयंत्र से निकलने वाले कचरे का निस्तांतरण करने में भी सदस्य राष्ट्रों से मदद मिलेगी। दक्षिण एशिया में भारत चीन के समकक्ष खड़ा हो जाएगा। भारत को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अगर भारत को एनएसजी की सदस्यता मिल जाती है तो इससे उसका रुतबा बढ़ जाएगा। ये न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप वर्ष 1974 में भारत के परमाणु परीक्षण के बाद ही साल 1975 में बना था, यानि जिस क्लब की शुरुआत भारत का विरोध करने के लिए हुई थी अगर भारत उसका मैम्बर बन जाता है तो ये उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। भारत की छवि परमाणु सम्पन्न देश की बनेगी। अगर भारत इस एक्सक्लूसिव क्लब का सदस्य बनता है तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी उपलब्धि होगी।

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