Wednesday 22 June 2016

पंजाब की हकीकत दर्शाती उड़ता पंजाब

नशे की समस्या को लेकर बनी फिल्म उड़ता पंजाब शुकवार को जब पंजाब व देश के अन्य भागों में सिनेमा घरों में एक साथ रिलीज हुई तो इसे देखने के लिए लोगों में इतनी उत्सुकता थी कि अमृतसर से लेकर, चंडीगढ़ और दिल्ली में सारे सिनेमा घर हाउसफुल रहे। सभी जगह युवाओं की, बड़ों की भीड़ उमड़ी। मैंने भी इस बहुचर्चित फिल्म को देखा। इस फिल्म में कई तरह के विवाद हुए और अभी भी हो रहे हैं। इसका रिलीज होना भी एक बड़ी घटना और सफलता दोनों हैं। बहरहाल, इसके बावजूद यह तो कहना पड़ेगा कि निर्देशक अभिषेक चौबे ने एक ऐसी फिल्म बनाई है जिसका संबंध एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या से है-यानी नशा (ड्रग्स) की लत और इसका कारोबार। यह भी सच है कि पंजाब में नशे की बढ़ती लत को लेकर पिछले कई सालों से लगातार खबरें आती रही हैं, मैंने इसी कालम में कई बार पंजाब में फैलते ड्रग्स के मामले पर लिखा है और यह वहां का राजनीतिक मुद्दा भी बनता रहा है। हाल ही में पठानकोट एयर बेस हमले में भी ड्रग्स एक बड़ी वजह रहा। फिल्म देखने के बाद अगर हम राजनीतिक बहस को छोड़ भी दें तो भी ये स्वीकार करना पड़ेगा कि निर्देशक ने यह दिखाने में सफलता पाई है कि किस तरह नशे का पूरा धंधा समाज को, उसके संस्थानों को, कला को और पंजाब की युवा पीढ़ी को नष्ट कर रहा है। उड़ता पंजाब फिल्म एक-दो नहीं चार किरदारों की कहानी है जो किसी भी शहर में मिल सकती है। टॉमी सिंह उर्फ द गबरू (शाहिद कपूर) एक पॉप स्टार हैं और भयंकर नशेड़ी भी। उसके हजारों-लाखों फैन्स हैं, जो उसके गीतों को सिर्फ इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन गीतों के बोल में कहीं न कहीं ड्रग्स नशे का जिक होता है। टॉमी जैसे लोगों तक पहुंचती है इंस्पेक्टर सरताज (दलजीत दोशांज) व उनके साथी पुलिस कर्मियों की बदौलत, जो रिश्वत लेकर नशे के कारोबारियों को एक इलाके से दूसरे इलाके में बेहिचक आने जाने देता है। लेकिन एक दिन जब सरताज का अपना छोटा भाई बल्ली नशे की लत के कारण अस्पताल पहुंचता है तो उसे एहसास होता है कि ये लत किस तरह पंजाब को तबाह कर रही है। बल्ली का इलाज कर रही डॉ. पीत साहनी (करीना कपूर) सरताज को बताती है कि किस तरह से पंजाब के हर युवा की रग-रग में ड्रग्स खून बनकर दौड़ रहा है। दोनों ड्रग्स के रैकेट का पर्दाफाश करने में जुट जाते हैं। उधर कहीं दूर बिहार से हॉकी प्लेयर बनने आई पिंकी (आलिया भट्ट) नामक युवती लालच में आकर नशे के सौदागरों के हत्थे चढ़ जाती है। दिलचस्प और रौंगटे खड़े कर देने वाले घटनाकम इन चारों किरदारों को आपस में एक कड़ी की तरह जोड़ देते हैं और तब उजागर होती है नशे के कारोबार की हकीकत। फिल्म यह भी दर्शाती है कि जब किसी इलाके में कोई इस तरह का अवैध कारोबार फैलता है तो उसकी जद में सिर्फ वहां के मूल बाशिंदे ही नहीं बाहर से वहां आकर रहने वाले भी फंस जाते हैं। यानी नशा सिर्प पंजाब को या पंजाबी नौजवानों को ही बर्बाद नहीं कर रहा है बल्कि एक राष्ट्रीय समस्या बन गया है। फिल्म का विरोध करने वालों, या इसे पंजाब विरोधी बताने वालों को यह समझना चाहिए कि निर्देशक ने पंजाब की सामाजिक जिंदगी की उस पहलू को दिखाया है जिससे निपटना राज्य की और देश की भी पाथमिकता होनी चाहिए। उनको पंजाब की छवि से ज्यादा पंजाब के भविष्य की चिंता करनी चाहिए। उड़ता पंजाब में सिर्फ नशे से गिरफ्त लोग ही नहीं हैं बल्कि उससे बचाने की तरकीब में लगे लोग भी हैं। जैसे सरताज और डॉ. पीत साहनी। फिल्म शानदार में शाहिद-आलिया की जोड़ी इतनी पकाऊ थी, उससे कहीं ज्यादा शानदार इस फिल्म में है। इनके बीच लव एंगल नहीं है, लेकिन जो भी एंगल है वो है बड़ा प्यारा। हाईवे और 2 स्टेट्स के बाद यह आलिया का अब तक का सबसे बढ़िया परफॉरमेंस है। शाहिद ग्लैमरस दिखने से कहीं ज्यादा मुश्किल होता होगा डी ग्लैमर fिदखना। फिल्म में उनका लुक ऐसा है जो कि इंसान आइने में खुद को देखकर डर जाए। फिल्म में दलजीत दोशांज का सहज अंदाज देखकर पता लगता है कि ये बंदा महज पांच सालों में पंजाबी फिल्मों का सुपर स्टार कैसे बना होगा। इसके अलावा करीना कपूर का किरदार अहम है। इसे लिखा भी अच्छे ढंग से गया है। यहां तारीफ करनी होगी अभिषेक चौबे और सुदीप शर्मा की जिन्होंने फिल्म की दो महिला किरदारों को काफी मजबूती दी है। फिल्म अमित त्रिवेदी के संगीत और लुभावने गानों के कारण भी आकर्षिक करती है। बॉक्स आफिस के नजरिए से फिल्म हिट है और लगभग 35 करोड़ रुपए के बजट ने अब तक पहले दिन 11 करोड़ और शनिवार को 13 करोड़ के लगभग बिजनेस कर लिया है। अंत में अगर आप उड़ता पंजाब को केवल इसके विवाद की वजह से देखना चाहते है तो घर बैठ सकते हैं क्योंकि इस फिल्म को देखने की और तमाम वजहें हैं। विवाद तो एक बहाना है। सच ये है कि गालियों और सच्चे डायलॉग से पटी पड़ी उड़ता पंजाब आपकी तालियों की नहीं आपकी तवज्जो मांगती है, वह भी देश के सामने एक अत्यंत गंभीर बढ़ती समस्या पर।

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