हाल ही में सुप्रीम कोर्ट
में एक अजीबोगरीब किस्म की चोरी का केस पेश हुआ। असम के दिसपुर में 300 करोड़ का सोना और 300 करोड़ रुपए
की नकदी रहस्यमय ढंग से गायब होने का मामला। यह मोटी रकम उग्रवादी संगठन उल्फा से संबंधित
थी। सैन्य खुफिया विभाग के एक पूर्व अधिकारी मनोज कौशल ने याचिका दायर करके इस खजाने
का पता लगाने और इसे गायब करने में शामिल लोगों पर कार्रवाई की मांग भी की। याची ने
कहा कि सेना के खुफिया विभाग में कई साल तक काम किया और उनकी पोस्टिंग असम में रही
थी। 2009 में उसने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। करीब दो
साल पहले उसे एक पुराने मुखबिर से सूचना मिली कि सोने और नकदी के अलावा दिसपुर में
दो एके-47 राइफलें भी हैं। उल्फा उग्रवादी वहां के व्यापारियों
से अकसर धन उगाही करते हैं। उग्रवादियों को देने के लिए 2014 में असम टी ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मृदुल भट्टाचार्य ने 300 करोड़ रुपए जमा किए थे। यह राशि उग्रवादियों को दी जानी थी। इसके अलावा सोने
की तस्करी का धंधा भी चल रहा था। याची ने कहा कि इसकी जानकारी सिर्प टी ऑनर्स एसोसिएशन
के अध्यक्ष मृदुल भट्टाचार्य को थी, लेकिन मृदुल और उनकी पत्नी
रीता को 2012 में ही तिनसुखिया के उनके बंगले में जलाकर मार दिया
गया। याचिकाकर्ता मनोज कौशल ने बताया कि उन्होंने भट्टाचार्य हत्याकांड से संबंधित
जांच-पड़ताल की तो उन्हें वह जगह मिल गई, जहां पर उल्फा उग्रवादियों के लिए 300 करोड़ रुपए का
सोना छिपाया गया था। खुफिया विभाग का पूर्व अधिकारी होने के नाते उन्होंने यह सूचना
सीनियर अफसरों को दे दी। सेना अधिकारियों ने तय किया कि वे एक जून 2014 को उस जगह से खुदाई कर सोना निकाल लेंगे, मगर कुछ अधिकारियों
की मिलीभगत के चलते सूचना लीक हो गई। कुछ अज्ञात लोगों ने 31 मई की रात को ही उस जगह की खुदाई कर 300 करोड़ रुपए तथा
सोना और हथियार चुरा लिए। याचिकाकर्ता ने इस मामले में शामिल अधिकारियों की जांच एवं
उन पर कार्रवाई के लिए कई आला अधिकारियों को शिकायत की, मगर कोई
कार्रवाई नहीं हुई। लिहाजा उन्हें अब सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ रही है। याची ने
दावा किया है कि वह हिमाचल प्रदेश का रहने वाला है। उसने अपने स्थानीय सांसद अनुराग
सिंह ठाकुर को भी इस मामले की जानकारी दी जिन्होंने तुरन्त गृहमंत्री को पत्र लिखा।
दिल्ली में उसे आईबी के अफसर मनोज यादव से भी मिलवाया। उसे असम में एक अफसर से सम्पर्प
करने के लिए भी कहा गया। वह असम गया और संबंधित अफसर से भी मिला। अफसर ने पहली बार
उससे अच्छी तरह बात की लेकिन बाद में उसका व्यवहार बदल गया। मामले को रफा-दफा कर दिया गया। पूरे मामले की जांच की जरूरत है। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट
ने केंद्र और असम सरकार को नोटिस जारी किया है।
-अनिल नरेन्द्र
No comments:
Post a Comment