निर्वाचन
आयोग ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट
मिलान का वर्तमान तरीका सबसे अधिक उपयुक्त बताया। आयोग ने प्रति विधानसभा क्षेत्र के
एक मतदान केंद्र से वीवीपैट की पर्चियों की गणना की प्रणाली को न्यायोचित ठहराते हुए
कहा कि अगर यह संख्या बढ़ाई गई तो इससे नतीजे देरी से आएंगे। आयोग ने कहा कि हर लोकसभा
या विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र में 50 प्रतिशत वीवीपैट
पर्चियों के औचक निरीक्षण करने से मतगणना में कम से कम छह दिनों का वक्त लगेगा। आयोग
ने हलफनामा दायर कर कहा कि वीवीपैट पर्चियों के मिलान की मौजूदा व्यवस्था सबसे उपयुक्त
और संतोषजनक है। आयोग ने आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू
नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी दलों के नेताओं की याचिका का
जिक्र करते हुए कहा कि इसमें इस समय वर्तमान प्रणाली में बदलाव के लिए कोई वजह नहीं
बताई गई। विपक्षी नेता चाहते हैं कि होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रत्येक विधानसभा
क्षेत्र में वोटिंग मशीनों की कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों
की गणना की जाए। कोर्ट ने 25 मार्च को इस मामले की सुनवाई करते
हुए आयोग से इसे लेकर रिपोर्ट देने को कहा था। साथ ही यह टिप्पणी करते हुए कहा था कि
किसी भी संस्था को सुधार से जुड़े सुझावों से परहेज नहीं करना चाहिए। इनमें खुद न्यायपालिका
भी शामिल है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को दिए गए हलफनामे में बताया कि एक वीवीपैट
के मतों की गिनती में कम से कम एक घंटे का समय लगता है। ऐसे में यदि 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की गिनती कराई गई तो छह से नौ घंटे तक समय लगेगा।
ईवीएम की विश्वसनीयता को दिखाने के लिए वह पहले से ही प्रत्येक विधानसभा के एक बूथ
के वीवीपैट पर्चियों का मिलान कराता है। आयोग ने कहा कि सत्यापन के आधार में किसी भी
तरह की वृद्धि से विश्वास स्तर पर बहुत मामूली फर्क पड़ेगा। विश्वास का वर्तमान स्तर
99.9936 प्रतिशत से अधिक है। उसने कहा कि अब तक 1500 मतदान केंद्रों के वीवीपैट का औचक निरीक्षण किया जा चुका है। हालांकि आयोग
ने यह भी कहा कि वह किसी भी ऐसे सुझाव पर विचार के लिए तैयार है जिससे देश में स्वतंत्र
और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने के सुधार में मदद मिलती है। आयोग ने यह जवाब
21 विपक्षी दलों के नेताओं की उस याचिका पर दिया जिसमें लोकसभा चुनाव
में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम और वीवीपैट में से 50 प्रतिशत का
औचक निरीक्षण करने की मांग की गई है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या फैसला
देता है। ईवीएम की विश्वसनीयता पर केवल हमारे राजनीतिक दल ही आपत्ति कर रहे हैं बल्कि
दुनिया के कई विकासशील देशों ने भी ईवीएम रिजैक्ट कर दी है। अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड, आयरलैंड,
इटली व नीदरलैंड जैसे एडवांस देशों ने ईवीएम से चुनाव कराने के बाद उसमें
पाई गई खामियों के कारण इससे वोटिंग न कराने का फैसला किया और वह पर्चियों से चुनाव
कराते हैं। बेशक आज भी बेल्जियम, कनाडा, स्विट्जरलैंड व एस्टोनिया जैसे देश ईवीएम से ही चुनाव करवा रहे हैं।
-अनिल नरेन्द्र
No comments:
Post a Comment