Friday, 26 April 2019

राजस्थान में दो मुख्यमंत्री पुत्रों की लड़ाई

राजस्थान की 25 सीटों को बरकरार रखना भाजपा के लिए कड़ी चुनौती है। 29 अप्रैल यानि चौथे चरण के मतदान में यहां की 13 सीटों पर मतदान होना है। राजस्थान में जोधपुर और झालावाड़ लोकसभा सीटें सबसे ज्यादा आकर्षण वाली सीटें इसलिए बन गई हैं क्योंकि इन दोनों सीटों पर एक मौजूदा मुख्यमंत्री और एक पूर्व मुख्यमंत्री के बेटों की लड़ाई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत और झालावाड़ से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत Eिसह चुनाव मैदान में हैं। दुष्यंत सिंह चौथी बार सांसद बनने के लिए मैदान में उतरे हैं जबकि वैभव गहलोत पहली बार सियासी पारी खेलेंगे। दोनों को ही इस बार कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। जोधपुर में वैभव का मुकाबला केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से होगा। दुष्यंत के सामने कांग्रेस ने भाजपा से जुड़े रहे युवा नेता प्रमोद शर्मा को पार्टी में शामिल कर चुनावी मैदान में उतारा है। जोधपुर सीट से पहली बार चुनावी मैदान में उतरे वैभव यूं तो कांग्रेस की राजनीति में 2003 से ही सक्रिय हैं। उन्होंने युवक कांग्रेस से होते हुए प्रदेश कांग्रेस में मौजूदा समय में महासचिव पद की जिममेदारी भी संभाली है। जोधपुर सीट से उनके पिता अशोक गहलोत पांच बार सांसद रहे और प्रदेश में अभी तीसरी बार मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वहीं शेखावत का कहना है कि देश की जनता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहती है और राष्ट्रवाद की पक्षधर जनता उनके साथ है। उधर झालावाड़ की सीट पर लड़ रहे वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में ही देश तरक्की कर सकता है। इसके साथ ही सेना के हवाई हमले और राष्ट्रवाद की गूंज भी इस संसदीय क्षेत्र में खूब है। यह सीट झालावाड़ और बारां जिले की आठ विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है। वसुंधरा राजे इस सीट पर पांच बार सांसद बनी हैं और झालावाड़ से विधायक बनती आ रही हैं। कांग्रेस के प्रमोद शर्मा ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। प्रदेश के खनिज मंत्री प्रमोद जैन इस संसदीय क्षेत्र के बारां जिले में तगड़ा प्रभाव रखते हैं। उनकी सिफारिश पर ही कांग्रेस ने युवा प्रमोद शर्मा को इस कठिन सीट पर उतारा है। खनिज मंत्री प्रमोद जैन का कहना है कि इस बार बदलाव की लहर चलेगी। इस सीट पर 30 साल से एक ही परिवार का कब्जा चला आ रहा है। जनता इसमें बदलाव लाएगी। प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने छह महीने के अपने कार्यकाल में कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं जिनकी बदौलत कांग्रेस मजबूत हो गई। देखें, ईवीएम क्या रिजल्ट निकालती है?

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