Wednesday 24 April 2019

पुरी संसदीय सीट पर प्रवक्ताओं की टक्कर

भगवान जगन्नाथ ने भी कभी नहीं सोचा होगा कि उनके साथ रहने वाले दो चिन्ह यूं आपस में टकराएंगे। लेकिन इस लोकसभा चुनाव में ऐसा हो रहा है। भगवान जगन्नाथ की पुरी नगरी में शंख और पदम के बीच लड़ाई है। दरअसल बीजू जनता दल (बीजेडी) के प्रतीक शंख और भाजपा के प्रतीक कमल (पदम) के बीच इस बार मुकाबला है। यही नहीं तीनों प्रमुख दलों बीजेडी, भाजपा और कांग्रेस ने अपने प्रवक्ताओं को यहां मैदान में उतारा है। मूल रूप से बीजद की मजबूत जनाधार वाली सीट पर पिछले दो चुनावों में जीत हासिल कर रहे पिनाकी मिश्रा फिर मैदान में हैं। पिनाकी मिश्रा 2009 में कांग्रेस छोड़कर बीजद में आए थे। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को टिकट दिया है जो अनूठे तरीकों से इस सीट पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने सत्य प्रकाश नायक को टिकट दिया है। खास बात यह है कि प्रवक्ताओं की लड़ाई में मतदाता तय नहीं कर पा रहे हैं कि किसको अपना कीमती वोट दें? सत्य प्रकाश नायक कांग्रेस प्रदेश कमेटी मीडिया सेल के प्रमुख हैं। लगभग 14 लाख वोटर इस लोकसभा सीट पर आमतौर पर 50 प्रतिशत वोट बीजद को मिलते आए हैं। पुरी लोकसभा सीट के तहत आने वाली सात विधानसभा सीटों में पांच बीजद के पास हैं। संबित पात्रा की उम्मीदवारी के जरिये भाजपा ने इस बार शेष चार विधानसभा सीटों पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। मतदाताओं के बीच कभी गीत गाकर तो कभी स्थानीय लोगों में घुल मिलकर पात्रा ने अपने प्रचार को धार देने की कोशिश की है। बावजूद इसके भाजपा का पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के इर्दगिर्द केंद्रित रहा। भाजपा के पक्ष में बेहतर माहौल के पीछे संबित पात्रा को मोदी के प्रतिनिधि के तौर पर देखा जा रहा है। वेद की पढ़ाई कर रहे आशीष दूबे का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी को एक बार मौका जरूर मिलना चाहिए। वहीं दो बार सांसद रह चुके पिनाकी मिश्रा के प्रति मतदाताओं में नाराजगी है। पुरी की जनता कहती है कि पिनाकी हमारे प्रतिनिधि हैं, लेकिन वह यहां सिर्प चुनाव के वक्त आते हैं। जनता में नाराजगी की सबसे बड़ी वजह पिनाकी का उपलब्ध न होना है। मंदिरों के इस शहर के चुनावी संघर्ष से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का लिटमस टेस्ट भी होगा। 2014 की मोदी लहर में ओडिशा में भाजपा महज एक सीट जीत पाई थी। 21 सीटों के इस राज्य में बाकी 20 सीटें बीजद जीती थी। धोती-कुर्त्ता पहने व माथे पर चन्दन लगाए पात्रा मोदी के नाम पर वोट मांगते दिखे। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद यहां प्रधानमंत्री की लोकप्रियता बढ़ी है। भाजपा के बढ़ते अपराध, पर्यटन की अनदेखी और मछुआरों के वित्तीय संकट के मुद्दे यहां प्रमुख हैं। यहां प्रवक्ताओं की लड़ाई तो है ही पर ऊपरी स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री व बीजू जनता दल प्रमुख नवीन पटनायक की लोकप्रियता का भी एक टेस्ट है। पुरी में अनुभवी सांसद पिनाकी मिश्रा राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं और इतनी आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी की छवि और उपलब्धियों के बावजूद पहली बार पुरी से चुनाव लड़ रहे डॉ. संबित पात्रा खारे पानी में कमल खिलाने की पूरी कोशिश करेंगे।

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