Friday, 12 April 2019

मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं

चारा घोटाले में सजा काट रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के लोकसभा चुनाव में जेल से बाहर आने के मंसूबों पर पानी फिर गया है। सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों रुपए के चारा घोटाले मामले में लालू जी की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि वह लालू को जमानत पर रिहा करने के इच्छुक नहीं हैं क्योंकि वह दंडित ठहराए गए व्यक्ति हैं। पीठ ने लालू के 24 महीनों से जेल में होने की दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि उन्हें दी गई 14 साल जेल की सजा की तुलना में 24 महीने कुछ भी नहीं हैं। बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान खासकर चुनावी सभाओं में मतदाता को नेताओं का यह चुटीला अंदाज नहीं मिल पा रहा है जो लालू प्रसाद की देसज बोली में मिलता था। उनको गांव और शहर के लोग भी याद करते हैं। बगैर लालू प्रसाद उन्हें सुनसान-सा महसूस हो रहा है। तेजस्वी हरेक सभा में मतदाताओं को यह बताने से नहीं चूकते कि पिता लालू प्रसाद यादव को फंसाया गया है। वह जेल से बाहर रहते तो एससी/एसटी एक्ट में संशोधन करने की मजाल नहीं थी किसी की। यह अलग बात है कि ग्रामीणों के जहन में इसका कितना असर होगा। सही तस्वीर तो मतदान के दिन और वोटों की गिनती से पता चलेगी। मगर इतना जरूर है कि वोट देना तो अलग लालू की कमी उन्हें जरूर खल रही है। गांव के मतदाताओं को लुभाने के लिए राजद ने नारा गढ़ा है। करे के बा...लड़े के बा...जीते के बा। यह नारा बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बोल से कुछ मिलता-जुलता है। वहीं लालू ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद बुधवार को ही जेल से जनता को खुला पत्र लिखा है। रांची के रिम्स में भर्ती लालू प्रसाद यादव ने पत्र में लिखा है कि जब लोकतंत्र का उत्सव चल रहा है, वह रांची के अस्पताल में बैठ कर सोच रहे हैं कि विध्वंसकारी शक्तियां क्या उन्हें कैदा करवाकर बिहार में षड्यंत्र की पटकथा लिखने में सफल होंगे। लालू प्रसाद ने लिखा है कि वह कैद में हैं, उनके विचार नहीं। राजद के फेसबुक व ट्विटर प्रोफाइल पर लालू का पत्र साझा किया गया है। लालू ने लिखा है कि लड़ाई आर-पार की है। उनके गले में सरकार और चालबाजों का फंदा कसा हुआ है। उम्र के साथ शरीर साथ नहीं दे रहा है पर आन-बान की लड़ाई में ललकार हमेशा रहेगी। लालू ने लिखा है कि लड़ाई संविधान में दी गई हिफाजत की लड़ाई है। आरक्षण और संविधान विरोधी सरकार को खदेड़ने के लिए करो या मरो वाले जज्बे की जरूरत है। लालू ने लिखा है कि देश-समाज के लिए उनकी जंग जारी रहेगी। गुरु गोविंद सिंह के बच्चों की तरह उन्हें भी दीवार में भी चुनवा दिया जाएगा तो भी वह पीछे नहीं हटेंगे। हमारे गरीब-गुरबा लोग जो मंडल जी, कुशवाहा जी, यादव जी, बिंद जी, साहनी जी, पासवान जी, मांझी जी कहने लगे थे, वह जाति-सूचक नाम से बुलाए जाएंगे। दुश्मन आपकी ताकत को तोल रहा है। लालू पिछले कुछ महीनों से रांची के राजेन्द्र चिकित्सा विज्ञान संस्थान (रिम्स) में उपचाराधीन हैं।

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