छिंदवाड़ा देश की प्राय अकेला ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जहां पिता-पुत्र
एक साथ एक ही पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। पिता विधानसभा के लिए और पुत्र लोकसभा के
लिए। मैं बात कर रहा हूं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की जो विधानसभा चुनाव लड़
रहे हैं और उनके बेटे नकुल नाथ जो लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों साथ-साथ प्रचार कर रहे हैं और विकास ही दोनों का चुनावी मुद्दा है। छिंदवाड़ा संसदीय
क्षेत्र का बीते 40 साल से कमलनाथ अथवा उनका परिवार का सदस्य
प्रतिनिधित्व करता आ रहा है। कमलनाथ मुख्यमंत्री बनने से पहले नौ बार इस संसदीय क्षेत्र
से चुनाव जीत चुके हैं। सिर्प एक बार 1977 में हुए उपचुनाव में
भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा को जीत मिली थी। पिछले साल नवम्बर
में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विकास के छिंदवाड़ा मॉडल को मुद्दा बनाया था।
लोकसभा चुनाव में इस मॉडल की कोई चर्चा तो नहीं हुई, मगर छिंदवाड़ा
संसदीय क्षेत्र में चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है। कमलनाथ यूं तो पूरे राज्य
में कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं, मगर बीच-बीच में छिंदवाड़ा भी जाते हैं। वह एक दिन में
कम से कम तीन और उससे ज्यादा सभाएं भी करते हैं। कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने
के छह माह के भीतर विधायक चुना जाना है, इसलिए छिंदवाड़ा में
विधानसभा, उपचुनाव हो रहा है। कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना ने
पद से इस्तीफा देकर कमलनाथ के लिए यह सीट खाली की है। कांग्रेस की ओर से छिंदवाड़ा
संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार नकुल नाथ अब तक हुए विकास को और आगे बढ़ाने का मुद्दा
बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव में अपनी
राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहे हैं। वह चुनावी रैलियों में कहते हैं कि उनके पिता
कमलनाथ की सीट का प्रतिनिधित्व करना बड़ी चुनौती है। विकास की जो यात्रा चल रही है,
उसे जारी रखेंगे। कांग्रेस जहां छिंदवाड़ा मॉडल का जिक्र कर रही है,
वहीं भाजपा मोदी के विकास मॉडल की चर्चा में लगी है। कुल मिलाकर यहां
चुनाव में दो नेताओं के विकास मॉडल आमने-सामने हैं।
-अनिल नरेन्द्र
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