कांग्रेस अध्यक्ष
राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट के अलावा केरल की वायनाड लोकसभा सीट
से भी चुनाव लड़ेंगे। रविवार को इस सस्पैंस से पर्दा उठ गया। कांग्रेस नेता एके एंटनी
ने रविवार को यह घोषणा की। इस घोषणा के बाद वायनाड में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर
जश्न मनाया। पटाखे फोड़े गए और कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे का मुंह मीठा करवाया। कांग्रेस ने सोच-समझकर राहुल
गांधी के ]िलए केरल की वायनाड सीट को चुना है। पिछले दो बार से
कांग्रेस यहां से चुनाव जीतती आ रही है। वायनाड सीट भले ही केरल में हो, लेकिन यह तीन राज्यों का जंक्शन है। यह क्षेत्र तमिलनाडु और कर्नाटक से घिरा
हुआ है यानि एक सीट से लड़कर राहुल तीन राज्यों को कवर कर लेंगे। कांग्रेस को लगता
है कि इससे दक्षिण भारत में पार्टी का जनाधार मजबूत होगा। वायनाड से केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक की 87 सीटें कवर होंगी। केरल में
20 लोकसभा सीटें हैं। 2014 में कांग्रेस की आठ
सीटें थीं। कर्नाटक की 28 सीट में से 13 भाजपा और नौ कांग्रेस के पास थीं। तमिलनाडु में 39 में
से 37 अन्नाद्रमुक और 11 सीटें भाजपा ने
जीती थीं। कांग्रेस का यहां खाता भी नहीं खुला था। 1991 में राजीव
गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने पीएम बनने से इंकार कर दिया। कांग्रेस के हालात
बिगड़ते गए। 1996 में कांग्रेस आम चुनाव हार गई। कई वरिष्ठ नेताओं
ने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी का विरोध किया तो पार्टी कई धड़ों में
बंट रही थी। 1997 के कांग्रेस अधिवेशन में सोनिया गांधी को प्राथमिक
सदस्यता दी गई, जिसके विरोध में शरद पवार, पीए संगमा व तारिक अनवर को निकाल दिया गया। 1998 में
सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं। तब सोनिया 1999 के आम चुनाव में बेल्लारी
और अमेठी दोनों जगहों से जीतीं। बेल्लारी में भाजपा की सुषमा स्वराज को 3.38
लाख के मुकाबले 4.14 लाख वोट से हराया। बाद में
उन्होंने यह सीट छोड़ दी। हालांकि इन चुनाव में भाजपा गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला।
लेकिन पांच वर्ष बाद कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की और अगले एक दशक तक बनी रही। इसका
असर यह हुआ कि 2004 में कांग्रेस ने केरल, आंध्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में 47 सीटें जीतीं। मैंने इस प्रकरण का इसलिए उल्लेख किया है कि कांग्रेस में दक्षिण
भारत से चुनाव लड़ने की परंपरा पहले से मौजूद है। इंदिरा गांधी ने भी लोकसभा चुनाव
में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट से जनता पार्टी के वीरेंद्र पाटिल को 70 हजार वोटों से हराया था। वायनाड लोकसभा क्षेत्र में कुल सवा 13 लाख वोटरों में करीब 56 प्रतिशत मुस्लिम हैं।
10 प्रतिशत ईसाई हैं और बाकी हिन्दू और जनजातीय के लोग हैं। कांग्रेस
को यह भी उम्मीद है कि राहुल के उतरने की वजह से उसे बाकी राज्यों में भी अल्पसंख्यकों
के वोट एकतरफा रूप से मिलेंगे। केरल से लड़कर कांग्रेस यह भी संदेश देना चाहती है कि
उसकी लड़ाई सिर्फ भाजपा से नहीं है। वह लेफ्ट और बाकी छोटी पार्टियों से भी सीधा मुकाबला
करने के लिए उतरी है ताकि उसके पास नम्बर ज्यादा हों और चुनाव बाद कोई परेशानी नहीं
आए। सीट एक है पर निशाने तीन हैं। पहलाöकेरल, तमिलनाडु, कर्नाटक
का जंक्शन है वायनाड, इससे कांग्रेस ने तीनों राज्यों में बैलेंस
बिठाने का प्रयास किया है। दूसराöविरासत को आगे
बढ़ाते हुए साउथ पहुंचे राहुल गांधी जनाधार मजबूत करने की कोशिश में हैं। तीसराöज्यादा से ज्यादा सीटें बढ़ाने की कोशिश में है कांग्रेस ताकि दूसरी पार्टियों
पर निर्भरता कम हो। कल सर्वे सामने आए हैं कि राहुल गांधी दक्षिण भारत में पीएम मोदी
से ज्यादा लोकप्रिय हैं। एक सर्वे के अनुसार साउथ में तीन प्रतिशत ज्यादा लोगों ने
मोदी के ऊपर राहुल को चुना है। नवम्बर 2018 में
इंडिया टुडे के सर्वे के अनुसार आंध्र में 44 प्रतिशत लोगों ने
पीएम के रूप में राहुल को चुना, वहीं 38 प्रतिशत लोगों ने मोदी को चुना। तमिलनाडु में 36 प्रतिशत
ने राहुल और 29 प्रतिशत ने मोदी को चुना। केरल में 38
प्रतिशत ने राहुल और 31 प्रतिशत ने पीएम मोदी को
चुना।
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