Tuesday, 23 April 2019

त्रिकोणीय संघर्ष में फंसे शरद यादव

बिहार में हो रहे तीसरे चरण के चुनाव में सबसे रोमांचक मुकाबला मधेपुरा लोकसभा सीट के लिए होने जा रहा है। राम पोप का, मधेपुरा गोप का नारे के बीच का सबसे बड़ा सच यह है कि त्रिकोणात्मक इस संघर्ष में फंसा मधेपुरा का चुनावी संघर्ष भी तीन यादवों के बीच ही फंसा है। हालांकि इस चुनाव में जदयू के दिनेश चन्द्र यादव का मुकाबला राजद के शरद यादव से है। यहां संघर्ष का तीसरा कोण जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के उम्मीदवार राजेश रंजन उर्प पप्पू यादव बना रहे हैं। लेकिन अपरोक्ष रूप से मधेपुरा के लोकसभा संघर्ष में मौजूदा राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव व जनता दल (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है। राजद उम्मीदवार शरद यादव ने जनता दल (यू) से नाराज होकर कई दिग्गज नेताओं को लेकर अलग पार्टी बनाई थी। लेकिन बाद में लालू प्रसाद यादव ने राजद की सदस्यता दिला मधेपुरा की जंग में शामिल कराकर नीतीश कुमार के सामने एक चुनौती रख दी थी। मधेपुरा लोकसभा का चुनाव शरद यादव के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस बार चुनाव जीत जाते हैं तो मधेपुरा लोकसभा से पांचवीं बार सांसद बनने का गौरव प्राप्त होगा। मधेपुरा लोकसभा से शरद यादव पहली बार चुनाव 1991 में जनता दल से लड़े थे। उनकी टक्कर जब जनता पार्टी के आनंद मोहन से हुई थी। इस चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार शरद यादव ने आनंद मोहन को हराया था। तब जनता दल उम्मीदवार यादव को 4,37,483 मत मिले थे और आनंद मोहन को मात्र 1,52,106 मत मिले थे। मधेपुरा लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में 23 अप्रैल को वोट पड़ेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस बार एक बार फिर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के प्रभामंडल में शरद यादव राजद के उम्मीदवार बने हैं। यह जब तय है कि 2019 के इस त्रिकोणीय संघर्ष में तीनों उम्मीदवार यादव बिरादरी के हैं तो गैर-यादव मत इस लोकसभा चुनाव में जीत की पुंजी साबित हो सकते हैं। यह तो अब समय के गर्भ में है कि कौन उम्मीदवार गैर-यादव मतों को ज्यादा से ज्यादा अपने पक्ष में कर सकता है? आरजेडी-कांग्रेस के बीच तकरार के पीछे सबसे बड़ा मुद्दा पप्पू यादव को लेकर था। पप्पू यादव गठबंधन का हिस्सा बनकर मधेपुरा से सीट चाहते थे। लेकिन आरजेडी ने उन्हें सीट नहीं देकर शरद यादव को वहां से उतारने का फैसला किया। अब पप्पू यादव निर्दलीय उम्मीदवार बनकर शरद यादव की नींद हराम करने उतरे हैं। अगर शरद यादव यह चुनाव भी जीतते हैं तो उन्हें पांचवीं बार सांसद बनने का गौरव प्राप्त होगा। असल लड़ाई लालू प्रसाद यादव व तेजस्वी यादव व नीतीश कुमार की है। नीतीश की उपलब्धियों व नरेंद्र मोदी की छवि पर शरद यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment