Tuesday, 16 April 2019

क्या स्मृति कांग्रेसी गढ़ अमेठी में राहुल को चुनौती दे पाएंगी?

अमेठी संसदीय क्षेत्र, जिसका नाम आते ही गांधी परिवार का जिक्र स्वाभाविक रूप से आ जाता है। 1980 में संजय गांधी की जीत के साथ शुरू हुआ यह सिलसिला राजीव, सोनिया से होते हुए राहुल तक आ चुका है। यहां गांव-गांव में जनता की स्मृति में गांधी परिवार के सदस्यों से जुड़े तमाम किस्से-कहानियां हैं। अमेठी की इस पहचान में 21 साल पहले हालांकि केसरिया रंग भी घुला था, जब 1998 में भाजपा प्रत्याशी संजय सिंह ने कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा को हराया था। हालांकि अगले साल ही सोनिया गांधी ने खुद मोर्चा संभालकर कांग्रेस की यह खानदानी सीट जीत ली थी। अमेठी के इस कांग्रेसी किले को 2014 के चुनाव में बेहद कड़ी चुनौती मिली, जब भाजपा से स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के सामने मोर्चा लिया। मुकाबला तगड़ा रहा और जीत का अंतर तुलनात्मक रूप से कम रहा। 2014 में राहुल गांधी को 46.71 प्रतिशत 4,08,651 वोट मिले जबकि स्मृति ईरानी को 34.38 प्रतिशत और 3,00,748 वोट मिले थे। 1,07,903 वोट से ही जीत सके थे राहुल गांधी। पांच साल बाद वही किरदार आमने-सामने हैं। स्मृति को राहुल के साथ ही गांधी परिवार से मिली अमेठी की पहचान से भी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। स्मृति ने केंद्रीय मंत्री रहते कांग्रेस के इस किले में अपना चिराग जलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसी अवधि में अध्यक्ष बनने के बाद राहुल की बढ़ी राजनीतिक परिपक्वता का गवाह भी यह क्षेत्र है। सपा-बसपा गठबंधन ने नए सियासी शिष्टाचार के तहत अमेठी से प्रत्याशी नहीं उतारा। 2014 के चुनाव में आप पार्टी के कुमार विश्वास भी खड़े हुए थे और उन्हें 2.92 प्रतिशत और 25,527 वोट मिले थे। बसपा के उम्मीदवार धर्मेंद्र प्रताप सिंह को 6.60 प्रतिशत और 57,716 वोट मिले थे। अमेठी से बसपा-सपा गठबंधन द्वारा अपना उम्मीदवार न उतारने से राहुल गांधी को जरूर राहत मिली है। लेकिन एक परिवर्तन स्पष्ट हैöअमेठी में गांधी परिवार के मुरीद बहुत हैं तो मोदी की भाजपा के कद्रदान भी कम नहीं। हाल ही में अमेठी में रोड शो के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चेहरे पर हरी लेजर लाइट दिखने के बाद पार्टी ने उनकी सुरक्षा पर सवाल उठा दिए। अंदेशा जताया गया कि लेजर लाइट स्नाइपर गन जैसे किसी हथियार की हो सकती है। लेकिन गृह मंत्रालय ने राहुल की सुरक्षा में चूक से इंकार करते हुए बताया कि यह लेजर लाइट कांग्रेस के ही एक फोटोग्राफर के मोबाइल कैमरे की थी। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की सुरक्षा प्राप्त राहुल गांधी के साथ यह घटना तब हुई जब वह अपना नामांकन करने के बाद पत्रकारों से  बात कर रहे थे। उसी दौरान उनके चेहरे पर हरे रंग की लेजर लाइट नजर आई। इस बारे में कांग्रेस का एक लेटर और वीडियो सामने आया, जिसमें कहा गया कि कम से कम सात बार हरी लाइट राहुल के चेहरे पर दिखाई दी। हमें लगता है कि यह लेजर लाइट स्नाइपर की हो सकती है। कैमरे के फ्लैश की लाइट ऐसी नहीं होती। हो सकता है कि यह ट्रायल रन रहा हो और राहुल की सुरक्षा प्रबंधों को देखने के लिए की गई है। जो भी हो राहुल को अपनी सुरक्षा पर खास ध्यान देना होगा। ऐसी ही सुरक्षा की चूक के कारण ही उनके पिता राजीव गांधी की हत्या हुई थी।

No comments:

Post a Comment