Sunday 14 April 2019

ईवीएम-वीवीपैट मिलान पर आपत्ति?

सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हर विधानसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑर्डर ट्रेल) का मिलान करने का आदेश दिया है, जिससे निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता और मजबूत होगी। साथ-साथ यह आदेश इसलिए भी अहम है क्योंकि 11 अप्रैल से शुरू हुए लोकसभा चुनाव के पहले चरण से यह लागू हो गया है। अभी तक चुनाव आयोग प्रत्येक विधानसभा में एक मतदान केंद्र से वीवीपैट पर्चियों का मिलान करता था। अब उसे प्रत्येक विधानसभा के पांच मतदान केंद्रों का मिलान करना होगा। आखिर वीवीपैट से मिलान का उद्देश्य क्या है? इससे यह सत्यापित हो जाता है कि ईवीएम का आंकड़ा वीवीपैट में ही हूबहू मिल जाता है। अगर मिलान शत-प्रतिशत सही होता है तो फिर शंका का कोई कारण नहीं होना चाहिए। 21 विपक्षी दलों ने वीवीपैट से कम से कम 50 प्रतिशत ईवीएम के मिलान का आयोग को आदेश देने की अपील की थी। न्यायालय ने आयोग का पक्ष जाना और हर उस प्रश्न का जवाब दिया जो विपक्षी दल उठा रहे थे। चुनाव आयोग ने न्यायालय को स्पष्ट बताया कि ईवीएम बिल्कुल सुरक्षित प्रणाली है और इसमें छेड़छाड़ की संभावना पैदा नहीं होगी। बावजूद इसके विपक्ष अभी भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखता। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू ने मंगलवार को कहा कि वह वीवीपैट पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं और चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान में कोई अंतर न हो। उन्होंने सुझाया कि किसी तरह के अंतर आने पर चुनाव आयोग को देश में सभी वीवीपैट की गणना सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि मैं पूरी तरह संतुष्ट तो नहीं पर कुछ नहीं से बेहतर है। बता दें कि पहली बार किसी लोकसभा चुनाव में वीवीपैट मशीनों का प्रयोग हो रहा है। हालांकि कुछ संसदीय एवं विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में इनका इस्तेमाल किया जा चुका है। किसी भी लोकतांत्रिक देश की मजबूती के लिए जरूरी है कि उसकी निर्वाचन प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो और इस मामले में भारत दुनिया में एक मिसाल है। ईवीएम के आगमन के बाद से चुनावी धांधलियों पर अंकुश लगा है। इसके बावजूद तमाम राजनीतिक दल ईवीएम को लेकर सवाल उठाते रहे हैं और उनके संदेह के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने ही 2013 में चुनाव आयोग को ईवीएम को वीवीपैट से जोड़ने के निर्देश दिए थे। पहली बार चुनाव में ऐसा हो रहा है। इसमें विपक्षी दलों के मतगणना एजेंट जिस भी ईवीएम को चाहें वीवीपैट से मिलान कर सकते हैं। वस्तुत चुनाव आयोग का तर्प था कि 50 प्रतिशत मिलान के मतगणना केंद्र का बहुत ज्यादा विस्तार करना होगा, गणनाकर्मियों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी होगी और कई दिनों का समय लग जाएगा। परिणाम आने में चार से पांच दिन का समय लगने की बात आयोग ने न्यायालय को बताई। उम्मीद की जाती है कि 2019 का लोकसभा चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी होगा।
-अनिल नरेन्द्र



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