Saturday, 27 April 2019

लाइट, कैमरा, एक्शन के कलाकार फंसे चुनावी दंगल में

पश्चिम बंगाल के औद्योगिक-व्यापारिक केंद्र आसनसोल में इस बार के लोकसभा चुनाव में दो सितारे जमीन पर उतर आए हैंöआमने-सामने। युवा दिलों की चाहत सिंगर बाबुल सुप्रीयो वर्तमान में सांसद और केंद्रीय मंत्री हैं तो उनके सामने खड़ी हैं प्रख्यात अदाकारा मुनमुन सेन। यहां चौथे चरण यानि 29 अप्रैल को वोट पड़ेंगे। बंगाल में इन दोनों कलाकारों की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। दोनों के अपने-अपने फैन और मुद्दे रहे हैं। कांग्रेस और वामपंथियों की इस सीट पर भाजपा ने सेंधमारी की है तो तृणमूल कांग्रेस इस सीट पर पहली बार कब्जा जमाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। लाइट, कैमरा, एक्शन जैसे शब्दों के इर्दगिर्द दोनों कलाकारों का समय जीत के पोस्ट तक पहुंचने के लिए कम होता जा रहा है लेकिन अब इनके सामने एक अलग टेंशन हैं इसीलिए दोनों की टीमें दिन-रात सक्रिय हैं। बाबुल को जिताने के लिए भाजपा कार्यकर्ता दिन-रात एक किए हैं। तृणमूल उम्मीदवार मुनमुन सेन की ओर से भी मोर्चाबंदी कमजोर नहीं है। तृणमूल विधायक रहे सह-मेयर जितेन्द्र तिवारी अपनी रणनीति भी बताते हैं। पिछले चुनाव में हम धार्मिक मोर्चे पर हार गए थे। इस  बार पार्टी इस मोर्चे पर पूरी तरह मुस्तैद है और क्षेत्र में धार्मिक उन्माद रोकने की जिम्मेदारी हमने उठाई है। धार्मिक कार्यक्रम तय किए गए हैं। क्षेत्र में चार दर्जन मंदिरों में शिवमयी का आयोजन किया जा रहा है। मकसद साफ है कि धर्म के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर दिखाकर पार्टी इस सीट को भाजपा के कब्जे से मुक्त कराना चाहती है। भाजपा भी धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजनों में कोई कमी नहीं छोड़ रही है। वामपंथियों के गढ़ से यह सीट भाजपा की झोली में दिलाने पर बाबुल सुप्रीमो को इनाम भी मिला और उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। यहां उनके साथ-साथ भाजपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर है सो वह स्वयं और पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा मेहनत में कहीं कोई कंजूसी नहीं कर रहे। वामपंथियों के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी है, लेकिन फिलहाल यहां लाल झंडा दूर ही दिख रहा है। वामपंथी विचारधारा से प्रभावित सुदीप्तो मंत्री पर चोट करते हुए सवाल उठाते हैं कि जब से वह भारी उद्योग मंत्री बने हैं तब से क्षेत्र की दो बड़ी कंपनियां केबल्स लिमिटेड और बर्न स्टैंडर्ड कंपनी बंद हो गई हैं। सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। तृणमूल कांग्रेस भी इसे मुद्दा बना रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष दोनों ने ही पश्चिम बंगाल में इस बार पूरी ताकत लगा दी है। देखें कि दीदी के गढ़ में क्या कमल खिलेगा?

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