Wednesday, 17 April 2019

पानी-किसानों की आत्महत्या यहां सबसे बड़ा मुद्दा है

महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटें 2019 चुनाव में विशेष महत्व रखती हैं। 2014 के चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को कुल 48 सीटों में से 42 पर विजय मिली थी। कांग्रेस के पाले में कुल दो सीटें आई थीं जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी। महाराष्ट्र में मराठवाड़ा अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। लातूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार वोट डालने वाले युवाओं से सेना के पराक्रम के नाम पर अपना वोट समर्पित करने की बात कही थी। वोट किसे देंगे... पर बात चली तो एक ग्रामीण उत्तेजित होकर बोला... सेना में मरने वाले जवान भी हमारे और उपज न होने से आत्महत्या करने वाले किसान भी हमारे। यह कैसा जय जवान-जय किसान है? पानी यहां सबसे बड़ा मुद्दा है। मराठवाड़ा के हर गांव में आप सूखे कुएं, पानी के लिए कतारें और सिर पर मटके रखकर कोसों दूर से पानी लाती महिलाओं को देख सकते हैं। यकीनन, यह पानी ही है जो 2019 लोकसभा चुनाव में सत्ताधारियों के चेहरे पर पानी उतार सकता है, भाजपा-शिवसेना गठबंधन की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है। मराठवाड़ा से देश को कई बड़े नेता मिले हैं। दो बार मुख्यमंत्री रह चुके विलासराव देशमुख भी लातूर से आते थे। पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल भी। भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे, प्रमोद महाजन, भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष राव साहेब सहित कई दिग्गजों का घर है मराठवाड़ा। इसके बावजूद यह इलाका पिछड़े क्षेत्रों में गिना जाता है। मराठवाड़ा में लोकसभा की आठ सीटें हैं और यह इलाका कांग्रेस का गढ़ रहा है। 2014 में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस ने प्रदेश में जो दो सीटें जीतीं, वह मराठवाड़ा की ही थीं। मराठवाड़ा की छह सीटोंöहिंगोली, नांदेड़, परभणि, उस्मानाबाद और लातूर में 18 अप्रैल को मतदान होगा। अन्य दो सीटोंöजालना और औरंगाबाद में 23 अप्रैल को मतदान है। औरंगाबाद में मुस्लिम, बौद्ध, मराठा, ओबीसी मतों में स्पष्ट विभाजन दिखता है, यह शिवसेना का गढ़ है। मुस्लिम वोटों की ज्यादा तादाद होने से यहां शिवसेना-भाजपा को थोड़ा खतरा जरूर है। शिवसेना ने मौजूदा सांसद चन्द्रकांत खैर को फिर से उतारा है, जबकि कांग्रेस से सुभाष झांवड को उतारा है, वंचित बहुजन आधाड़ी और एमआईएम ने मौजूदा विधायक इम्तियाज जलील को। मुस्लिम वोट बैंक को देखें तो इम्तियाज सबके लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरेंगे। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राव साहेब दानवे के दामाद हर्षवर्धन यहां निर्दलीय उम्मीदवार हैं। चन्द्रकांत खैर और कांग्रेस की चिन्ता हैं मतों के विभाजन होने की। सबसे रोचक मुकाबला यहीं है। लातूर में भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवार बाहरी हैं। भाजपा ने सुधाकर श्रृंगारे और कांग्रेस ने मच्छिद्र कॉमत को उतारा है, दोनों में सीधा मुकाबला है। दोनों ही मुंबई से हैं, ऐसे में लोकल काडर में नाराजगी है। नांदेड़ से कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हाण मैदान में हैं। उनके सामने भाजपा के प्रताप पाटिल हैं। बसपा-सपा गठबंधन और वंचित बहुजन आधाड़ी के उम्मीदवार कांग्रेस के वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कुल मिलाकर यहां अधिकतर सीटों पर भाजपा-कांग्रेस का मुकाबला है। पानी और किसानों की आत्महत्या सबसे बड़ा मुद्दा है। देखें, ऊंट किस करवट बैठता है।

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