Wednesday 10 April 2019

पैसा किस पर खर्च होता है यह कोर्ट तय नहीं कर सकता

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने अपने शासनकाल में मूर्तियों की स्थापना को सही कदम मानते हुए सुप्रीम कोर्ट को भेजे जवाब में साफ कहा है कि पैसा शिक्षा के साथ अस्पताल या फिर मूर्तियों पर खर्च हो, यह कोर्ट तय नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में दलित नेता ने कहा है कि सभी राजनीतिक दलों ने प्रतिमाओं पर पानी की तरह पैसा बहाया है। लेकिन सिर्प मेरी प्रतिमाओं पर आपत्ति जताई जा रही है। भाजपा सरकार ने केंद्र, राज्य सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के सीएमआर एंड से गुजरात में सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाई। इस पर तीन हजार करोड़ खर्च किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ के लोक भवन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 25 फुट ऊंची प्रतिमा लगाई। यह सरकारी पैसे से बनाई गई। लखनऊ में ही स्वामी विवेकानंद और गोरखपुर में महंत अवैद्यनाथ और दिग्विजय नाथ की 12 फुट से अधिक की प्रतिमा सरकारी पैसे से बनाई जानी है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ गोरखपुर पीठ के प्रमुख हैं। मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपनी आदम-कद प्रतिमाएं बनाए जाने के कदम पर सुप्रीम कोर्ट में बचाव करते हुए कहा कि लखनऊ और नोएडा के पार्कों में खड़ीं उनकी प्रतिमाएं लोगों की इच्छा जाहिर करती है। यह जनभावना का प्रतीक है। उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल में वंचित और दलित समुदाय के लिए किए गए उनके काम और त्याग को देखते हुए और दलित महिला नेता होने के नाते उनके प्रति सम्मान प्रकट करते हुए जनभावना के प्रतीक के तौर पर उनकी मूर्तियां लगाई गई हैं। मायावती ने अपने हलफनामे में अपनी मूर्तियों के निर्माण पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाने को लेकर वकील रविकांत ने इन मूर्तियों के निर्माण में सरकारी खर्च को मायावती और बसपा से वसूले जाने की याचिका दायर की है। मांग की गई है कि सरकारी खर्च से निर्मित हुईं इन मूर्तियों पर खर्च किया गया सरकारी धन का दुरुपयोग है और इसे मायावती और उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी से वसूल किया जाए। मायावती ने कहा कि हमने लोगों को प्रेरणा दिलाने के लिए स्मारक बनवाए थे। इन स्मारकों में हाथियों की मूर्तियां केवल वास्तुशिल्प की बनाकर माना है और बसपा के प्रतीक का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं। सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी को मत व्यक्त किया था कि मायावती को उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर अपनी पार्टी के चिन्ह हाथी की मूर्तियां लगाने के लिए  इस्तेमाल किए गए सार्वजनिक कोष सरकारी राजकोष में जमा करानी चाहिए। अदालत ने कहा था कि सुश्री मायावती सारा पैसा वापस करिए। हमारा मानना है कि मायावती को खर्च किए गए सारे पैसे का भुगतान करना चाहिए। अब देखें कि सुप्रीम कोर्ट मायावती के हलफनामे पर क्या प्रतिक्रिया देता है, क्या फैसला करता है?
-अनिल नरेन्द्र



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