Sunday, 7 April 2019

कांग्रेस सही मायनों में राष्ट्रीय दल है

अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद उनकी बेटी व अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा ने कहा कि उनके पिता को बहुत पहले ही भाजपा से अलग हो जाना चाहिए था। यदि आप किसी जगह पर खुश नहीं हैं, जहां आपको पार्टी इज्जत न दे तो आपको निश्चित रूप से उस पार्टी व जगह को बदल लेना चाहिए। मैं उम्मीद करती हूं कि कांग्रेस के साथ जुड़कर वह बहुत अच्छा काम करेंगे और कभी दबाव का अनुभव नहीं करेंगे। अब समय आ गया था कि उनके पिता भाजपा छोड़ दें। एचटी मोस्ट स्टाइलिश अवार्ड से इतर बातचीत में सोनाक्षी ने कहा कि उनके पिता एक वरिष्ठ नेता और विस्तृत ज्ञान के साथ ही वह जय प्रकाश नारायण जी, अटल जी, लाल कृष्ण आडवाणी जी के समय से पार्टी के सदस्य रहे हैं। उन्होंने जब भाजपा को ज्वाइंन किया था तब फिल्म इंडस्ट्री में उनका मजाक उड़ाया जाता था। फिल्मी दुनिया में शत्रुघ्न उन पहले अभिनेताओं में थे जो भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने दावा किया कि उनके पिता पटना साहिब से ही लड़ेंगे। वहीं खुद शत्रुघ्न सिन्हा ने रविवार को कहा कि उन्होंने यह फैसला इसलिए किया क्योंकि देश की सबसे पुरानी पार्टी ही सही मायनों में राष्ट्रीय पार्टी है। कांग्रेस में शामिल होने के फैसले पर शत्रु ने रहस्योद्घाटन करते हुए बताया कि उन्होंने यह फैसला राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के सुझाव के बाद लिया। उन्होंने यह दावा भी किया कि तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी, सपा नेता अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल ने भी अपनी-अपनी पार्टियों में शामिल होने का न्यौता दिया था, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि पस्थितियां जो भी हों वह पटना साहिब से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न (73) से जब पूछा गया कि उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला क्यों किया तो उन्होंने कहा कि इसकी कई वजह हैं। कांग्रेस में महात्मा गांधी, बल्लभ भाई पटेल, जवाहर लाल नेहरू जैसे महान नेता रहे हैं और इसमें नेहरू-गांधी परिवार है। पार्टी की स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि हमारे पारिवारिक मित्र लालू प्रसाद यादव ने सलाह दी थी। उन्होंने मुझ से कहा कि मैं आपके साथ हूं और राजनीतिक रूप से भी साथ रहूंगा। उन्होंने कहा कि उनके लिए भाजपा छोड़ना तकलीफदायक था, जिसके साथ  उनका एक लंबा नाता था। साथ ही यह भी कहा कि वह शीर्ष नेतृत्व द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के प्रति जो रवैया अपनाया गया, उससे वह आहत थे। शत्रुघ्न औपचारिक रूप से कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। अगर शत्रु भाजपा छोड़ने पर मजबूर हुए हैं तो इसका दोष भाजपा नेतृत्व जोड़ी पर जाता है। इनके तुगलकशाही में काम करने का अंदाज शत्रु को स्वीकार्य नहीं था। इनकी नीतियों पर टिप्पणी करना कोई अनुशासनहीनता नहीं है। शत्रु समेत कई भाजपा नेता व कार्यकर्ता मोदी-शाह की जोड़ी से परेशान हैं। आडवाणी जी जैसे भाजपा के भीष्म पितामह को जो गांधीनगर से छह बार जीतते आ रहे हैं उनका टिकट काट कर खुद अमित शाह वहां से चुनाव लड़ें, यह कौन-सा तरीका है? अगर शत्रु कांग्रेस में जा रहे हैं तो उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था।
-अनिल नरेन्द्र


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