Wednesday 24 April 2019

कम वोटिंग से किसका घाटा? सारा जोर अब अगले चरणों पर

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में गत शुक्रवार को जारी संशोधित आंकड़ों के मुताबिक 11 राज्यों एवं केंद्रशासित पुडुचेरी की 95 सीटों पर 69.13 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि पहले चरण में 69.43 प्रतिशत मतदान हुआ था। 2014 की बात करें तो लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 69.62 प्रतिशत मतदान हुआ था। क्या पहले दो चरणों के वोटिंग प्रतिशत गिरने का ट्रेंड अगले चरणों में भी जारी रहेगा? पहले दो चरणों में हुई सुस्त वोटिंग के बाद अब सियासी दलों की सबसे बड़ी चिन्ता यही है। 11 अप्रैल के बाद 18 अप्रैल को खत्म हुए दूसरे चरण की 95 सीटों पर भी 2014 के मुकाबले कम वोटिंग हुई। 186 लोकसभा सीटों पर लगभग 68.63 प्रतिशत वोटिंग दर्ज हुई। तीसरा चरण 23 अप्रैल को हुआ, जिसमें 116 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ। इसके साथ ही पूरे देश के आधे से ज्यादा सीटों पर चुनाव खत्म हो गया। अब तक के आंकड़ों के अनुसार शहरी सीटों पर वोटिंग कम हुई। खासकर बेंगलुरु और तमिलनाडु के बाकी शहरों में। माना जाता था कि सामान्यता से बहुत अधिक वोटिंग होने से ऐसा संदेश जाता है कि यह परिवर्तन की भीड़ उमड़ी है। जबकि उदासीन वोट से संदेश जाता है कि वोटरों में इसके प्रति उत्साह नहीं, जिसे सत्तापक्ष अपने लिए उम्मीद के रूप में देखता है। लेकिन यह मिथ्य भी हाल के दौरान कई चुनावों के दौरान टूटा है। सबकी नजर तीसरे चरण की 116 सीटों पर टिकी हुई थी। 23 अप्रैल को 14 राज्यों की 116 सीटों पर मतदान के चलते कांटे की लड़ाई हुई। इस हिसाब से 23 अप्रैल की शाम तक 303 सीटों का मतदान पूरा हो गया। भाजपा-राजग को जहां अपना किला बचाना होगा, साथ ही जहां कुछ घाटा नजर आया तो उसकी पूर्ति भी करनी होगी। तीसरे चरण में छत्तीसगढ़ की सात सीटों पर चुनाव हुआ। यहां कांग्रेस कुछ माह पूर्व विधानसभा में मिली जीत से उत्साहित है हालांकि 2014 में भाजपा ने यहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ किया था। इसी तारीख में कर्नाटक की शेष 14 लोकसभा सीटों पर भी मतदान हुआ। इसमें कांग्रेस-जनता दल (एस) गठबंधन को विधानसभा चुनाव की तर्ज पर जीत के लिए समूची ताकत लगानी पड़ी जबकि भाजपा को मोदी लहर पर भरोसा है। महाराष्ट्र व कर्नाटक की 14-14 सीटों पर पिछले चुनाव में राजग का पलड़ा भारी रहा था। दोनों जगहों पर पक्ष तथा विपक्ष को औसत बस अंतर भर था। इसी कड़ी के चलते बिहार व अन्य जगहों पर राजग को पिछली सीटों को बचाना बड़ी चुनौती है। वर्ष 2014 में तब बिहार की 26 में से 25 पर राजग जीती थी। जबकि जनता दल (यू) एक सीट जीती थी। इस बार राजग के घटक दल बदल गए हैं। जनता दल (यू) भाजपा के साथ जुड़ गया है। मोदी की टीम का प्रयास होगा कि पिछले 26 में से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीते जबकि विपक्ष भी कसर बाकी नहीं रखेगा। अंतिम चार चरणों में बिहार में जहां मतदान होगा उसमें दरभंगा, उजियापुर, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, सारण, बाल्मीकि नगर, पटना साहिब प्रमुख होंगी। तीसरे चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गृह राज्य गुजरात की 26 सीटों पर मतदान हुआ। 2014 में भाजपा सभी 26 सीटों पर विजयी रही थी। राजस्थान की 25 सीटों पर चौथे और पांचवें चरण में वोटिंग होगी। उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से 26 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं, बाकी बची 54 सीटों पर आगामी चरणों में वोटिंग होगी। 2014 में भाजपा इन 54 सीटों में से 47 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 16 सीटों के बाद तीसरे चरण में गठबंधन को उन 10 सीटों पर जोर-आजमाइश करनी पड़ी है जहां मुलायम परिवार की साख दांव पर है। वर्ष 2014 में सपा को प्रदेश में अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिहाज से यह इलाका मददगार साबित हुआ है। कुल मिलाकर एक तरफ मोदी और दूसरी तरफ कांग्रेस-सपा-बसपा गठबंधन की साख दांव पर होगी।

-अनिल नरेन्द्र

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