Sunday, 12 January 2020

प्रदर्शन जायज पर हिंसा का हक नहीं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन व हिंसा पर सरकारी कार्रवाई के खिलाफ जनहित याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार के खिलाफ आवाज उठाने व प्रदर्शन का नागरिकों को मूल अधिकार प्राप्त है लेकिन इसे दूसरों के मूल अधिकारों के विपरीत इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। लोगों को सड़क पर जुलूस निकाल विरोध-प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन उन्हें यातायात में व्यवधान उत्पन्न करने का अधिकार नहीं है। एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड आदि जरूरी सेवाओं को रोका नहीं जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई संगठन प्रदर्शन करता है और हिंसा होती है तो वह अपनी जवाबदेही से यह कहकर नहीं बच सकता कि हिंसा बाहरी लोगों ने की है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने लखनऊ के अधिवक्ता रजत गंगवार की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रत्येक घटना के लिए विरोध मार्च निकालने वालों की जवाबदेही होगी। यदि शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए धारा 144 लागू की गई है तो उसकी वैधता को चुनौती नहीं दी गई है तो प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का व्यक्ति या किसी समूह को कोई अधिकार नहीं है। वैधानिक प्राधिकारी को कानून लागू करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि याची यह बताने में विफल रहा है कि सरकारी कार्रवाई उसके या संगठन के मूल अधिकारों के विपरीत थी। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई तथ्य नहीं है, जिस पर कहा जा सके कि सरकारी कार्रवाई में पारदर्शिता की कमी है। उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मियों की कार्रवाई की जांच कर रहा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक माह में अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आयोग की जांच के चलते एसआईटी से जांच का आदेश देने से इंकार कर दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने मोहम्मद अमन खान की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन के दौरान छात्र पर पुलिस कार्रवाई की हाई कोर्ट के जज या एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई है। सरकार की तरफ से बताया गया कि 26 लोगों को हिंसा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने कानून के तहत कार्रवाई की है। इस हिंसा में कई छात्र घायल हो गए हैं। कोर्ट ने कहा कि आयोग जांच कर रहा है। वह पूरे घटनाक्रम की जांच करे। रजिस्ट्रार जनरल स्टाफ के मार्पत याचिका की छायाप्रति आयोग को उपलब्ध कराएं और आयोग अपनी संस्तुति या जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे।

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