Sunday, 12 January 2020

भूखे बच्चों की पुकार सुनकर सामने आया सुरक्षा बल का नया अवतार

घटना दो जनवरी की है, जो रविवार को सामने आई। जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ की मददगार हेल्प लाइन पर शाम 530 बजे एक महिला का फोन आया कि उसका परिवार श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर जाम में फंसा हुआ है। बच्चे भूखे हैं, बिलबिला रहे हैं, कुछ मदद कीजिए। आसिफा नाम की महिला के फोन पर सीआरपीएफ की 167 बटालियन की डी-कंपनी तुरन्त एक्शन में आती है और पैदल ही निकल पड़ती है। बर्फीले रास्ते 12 किलोमीटर चलकर उस परिवार के लिए खाना पहुंचा दिया जाता है। खाना पहुंचते ही टीम के इंस्पेक्टर रघुवीर सिंह ने पूरी घटना मीडिया को बताई। पढ़िए रघुवीर सिंह की जुबानी... हमें शाम 530 बजे आदेश मिला कि हाइवे पर जाम में एक परिवार फंसा हुआ है, जिसमें दो बच्चे हैं। उन्होंने सुबह से कुछ नहीं खाया है। उनके लिए खाना पहुंचाना है। यह काम हमारे लिए अलग तरह का था। दरअसल हमें ऐसे टास्क का अंदाजा नहीं था। खैर, हमने तुरन्त छह लोगों की टीम बनाई। दाल-चावल, दो ढाई लीटर दूध, छह लीटर गरम पानी, फल और बिस्कुट बांधकर निकल पड़े। दो किलोमीटर पैदल चलने के बाद हमें लंबा जाम दिखा, लेकिन उस परिवार तक पहुंचने में कुल 12 किलोमीटर चलना पड़ा। हमारे पास उस परिवार का फोन नम्बर आ गया था, इसलिए उन्हें खोजने में दिक्कत नहीं हुई। वो लोग भूस्खलन की वजह से फंसे हुए थे। हमने उनसे कहाöघबराने की जरूरत नहीं, खाना आ गया है। बच्चों के होंठों व चेहरों पर चमक आ गई। तीन-चार साल के दो बच्चे थे। हमने उस परिवार से कहा कि हमारे साथ चलिए, लेकिन गाड़ी में बैठी दोनों महिलाओं ने पैदल चलने में असमर्थतता जताई। हमने कहा कि अगर जाम नहीं खुलता है तो आपको उठाकर ही अगले स्टेशन तक चलेंगे। लेकिन वो लोग वहीं रुकना चाहते थे। वहां सैकड़ों गाड़ियां फंसी हुई थीं। इसलिए किसी तरह का कोई खतरा नहीं था। उन्हें सिर्प खाना चाहिए था। उनके खाना खाने तक हम रुके रहे। रात आठ बज चुके थे। हमने उन्हें फोन नम्बर दिया और कहा कि अगर और खाने की जरूरत पड़े तो बताइगा। उसके बाद हम 12 किलोमीटर पैदल चलकर रात 11 बजे वापस कैंप पहुंच गए। उस परिवार का कोई फोन नहीं आया तो हमने उन्हें फोन किया। उन्होंने कहा कि खाना बचा हुआ है। सुबह वह जम्मू पहुंच गए तो उन्होंने फोन करके शुक्रिया अदा किया। यह बात बहुत सुकून देने वाली थी। हमारे सुरक्षा बलों की आलोचना अकसर सुनने को मिलती है पर ऐसे मानवता के कामों को कम बताया जाता है। सीआरपीएफ के जवानों ने उस दिन बच्चों समेत परिवार को बचा लिया और इसे पूरा करने में उन्हें बर्फीले मौसम में 24 किलोमीटर इतनी ठंड में पैदल आना-जाना पड़ा। हम सीआरपीएफ की टीम को बधाई देते हैं।

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