Saturday 18 January 2020

जान की बाजी दांव पर लगाकर हमारे सैनिक ड्यूटी पर डटे हुए हैं

पिछले कई दिनों से कश्मीर में हो रही जबरदस्त बर्पबारी ने एलओसी के इलाके में भयानक तबाही मचाई हुई है। खासकर सैन्य प्रतिष्ठान और सैनिक इसके शिकार हो रहे हैं। तीन दिनों में बर्फीले तूफान और हिमस्खलन 13 लोगों की जानें भी लील चुके हैं। यही नहीं घुसपैठियों को रोकने की खातिर लगाई गई तारबंदी भी कई स्थानों पर ढह गई है जिस कारण सेना को मौसम की भयानक परिस्थितियों में चौकसी और सतर्पता को बढ़ाना पड़ा है। हमारे सैनिकों की इन परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी निभाना अत्यंत खतरनाक और मुश्किल हो गया है। यह किन परिस्थितियों में गुजर रहे हैं इस एक घटना से पता चलता हैöसामने से बर्प का पह़ाड़ आ रहा था और अग्रिम पोस्ट पर तैनात भारतीय सेना के जवान जान की परवाह न करते हुए अपनी ड्यूटी पर डटे थे। उनके पास 40-50 मीटर तक ही इधर-उधर जाने का मौका था। यदि जान बचाने को दूर जाते तो ताक में बैठा दुश्मन घुसपैठ कर सकता था। उन्हें भरोसा था कि बर्प के नीचे दब गए तो उन्हें बचाने के लिए साथी जवान जरूर आ जाएंगे। इसी विश्वास के साथ चौकियों पर डटे जवानों को तो बचा लिया गया, लेकिन चार जवान मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। पिछले 48 घंटे में उत्तरी कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में औसत से अप्रत्याशित तौर पर ज्यादा बर्पबारी हुई है। गुरेज सैक्टर में 51 सेंटीमीटर, माछिल में 117, केरन और तंगधार सैक्टर में 56, नौगांव में 112 और उरी व गुलमर्ग सैक्टर में 61 सेंटीमीटर बर्प पड़ी है। इसके कारण क्षेत्र में अब तक का सबसे कम शून्य से 57 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया। सेना के सूत्रों के अनुसार सैनिक पोस्टों के आसपास बर्प के 32 पहाड़ हिमनद बनकर खिसके। कंजालवन के गुरेज सैक्टर में 200 से अधिक सैन्य कर्मी तैनात थे। हिमस्खलन आते देख सेना ने अपने जवानों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दिया था। लेकिन माछिल सैक्टर में आए हिमस्खलन में पांच सैनिक बर्प के नीचे दब गए। बचाव कार्य के दौरान चार सैनिकों को निकाल लिया गया, इनमें से तीन की मौत हो गई और एक गंभीर रूप से घायल हो गया। एक सैनिक लापता था, उसका भी शव बरामद हुआ है। सेना ने बर्प में फंसे बीएसएफ के चार जवानों को भी बचाया था, लेकिन हार्ट अटैक के कारण एक जवान की मौत हो गई। सेना के सूत्रों का कहना है कि विकट परिस्थितियों में जवान अपनी पोस्ट नहीं छोड़ सकता। उसे पता है कि मौत सामने है लेकिन वह अपनी ड्यूटी पर अडिग रहता है। क्योंकि दुश्मन घुसपैठ करने और चौकी पर कब्जा करने की फिराक में रहता है। देशवासियों को इस बात का अंदाजा भी नहीं हो सकता कि हमारे बहादुर सैनिक अपनी जान की बाजी दांव पर लगाकर हमारी रक्षा कर रहे हैं। इन जवानों को हमारा सलाम। जय हिन्द।

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