Saturday 11 January 2020

क्या दिल्ली में भाजपा की ट्रिपल इंजन वाली सरकार बन सकती है?

केंद्रीय चुनाव आयोग ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए शंखनाद कर दिया। राज्य की सभी 70 सीटों के लिए आठ फरवरी को मतदान होगा जबकि 11 फरवरी को वोटों की गिनती की जाएगी। यूं तो दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है पर इसके परिणाम देश की राजनीति के लिए एक बड़ा सांकेतिक महत्व रखते हैं। चुनाव के साथ ही दिल्ली में तीनों प्रमुख राजनीतिक दल अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं। अब भाजपा की तरफ से केंद्र सरकार और आम आदमी पार्टी (आप) की तरफ से राज्य सरकार के प्रोजेक्ट शिलान्यास और उद्घाटन व घोषणाएं बंद हो गई हैं। अब दिल्ली में आप, भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी दंगल शुरू हो गया है। ऐसे में नेता अपने-अपने गुणा-भाग करने में जुट गए हैं। विधानसभा 2015 में आम आदमी पार्टी ने अकेले 54.34 प्रतिशत वोट के साथ 67/70 सीट जीतकर इतिहास रचा जिसे दोहराने की चुनौती अरविन्द केजरीवाल पर रहेगी। दूसरे नम्बर की पार्टी भाजपा को 32.19 प्रतिशत वोट मिले लेकिन सीटें सिर्प तीन मिलीं। वोट प्रतिशत बेशक थोड़ा बढ़े लेकिन सीट बढ़ाने के लिए भाजपा को ताकत लगानी होगी क्योंकि 2013 में भाजपा को महज 33.74 प्रतिशत वोट मिले और 31 सीटें मिल गई थीं। इसमें कांग्रेस को 24.55 प्रतिशत वोट और आठ सीटें मिली थीं। 2017 में दिल्ली के एमसीडी चुनाव में हालांकि भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन किया और 272 सीटों में से 181 सीटें जीत लीं। वहीं आम आदमी पार्टी को 26 प्रतिशत वोट और 47 सीटें ही मिल सकीं। कांग्रेस को 21 प्रतिशत वोट और 21 सीटें मिली थीं। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस, दोनों बिना किसी घोषित मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ रही हैं। इसका मतलब है दिल्ली विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी बनाम केजरीवाल चुनाव होगा। भाजपा को यह समझना चाहिए कि दिल्ली विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाता है, स्थानीय विकास व कमियों पर लड़ा जाता है। इस दृष्टि से नरेद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ना भाजपा के लिए जोखिम भरा हो सकता है। चुनावी विश्लेषक मान रहे हैं कि नागरिकता संशोधन कानून, जेएनयू में प्रदर्शन अहम मुद्दे हो सकते हैं। नागरिकता संशोधन कानून बनाम केजरीवाल सरकार की विकास योजनाओं की लड़ाई में फिलहाल हमें लगता है कि केजरीवाल भारी पड़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने 2015 के विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर जो इतिहास रचा था, वह इस बार उतना प्रभावी शायद न हो। आप की सीटें घटने की संभावना है। इस बार पार्टी अपनी सरकार के कामकाज के आधार पर वोट मांग रही है और यह चुनाव आप के कामकाज के आधार पर वोट मांग रही है और यह चुनाव आप के कामकाज की अग्निपरीक्षा भी है। आप ने अपने कार्यकाल में स्कूलों, मोहल्ला क्लिनिक, 200 यूनिट तक फ्री बिजली, तीर्थयात्रा समेत कई नए प्रयोग किए हैं। यह चुनाव साबित करेंगे कि क्या जनता आप सरकार के गवर्निंग मॉडल से संतुष्ट है? भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में भाजपा सरकार बनाने का दावा किया है। वहीं केंद्रीय मंत्री और दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि दिल्ली में चुनाव जीतकर देश में भाजपा की ट्रिपल इंजन की सरकार आएगी, जो दिल्ली को विकास की नई दिशा देकर बुलंदियों तक लेकर जाएगी, प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि 11 फरवरी मंगलवार के दिन विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आना पार्टी के लिए एक शुभ और मंगलकारी संकेत है। वहीं दिल्ली विधानसभा चुनावों की प्रबंधन समिति के संयोजक तरुण चुघ ने दिल्ली में 50 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा किया है। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के सबूत मांगने वाली टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार को दिल्ली के लोग नकार चुके हैं। उन्होंने पांच साल तक दिल्ली को गुमराह करने के अलावा कुछ नहीं किया। उधर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस शीला दीक्षित के कामों को चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा विकास के मुद्दे पर ही राजनीति करती है और इस बार भी हम विकास के मुद्दे पर चुनाव में जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 15 साल के शासनकाल में शीला दीक्षित ने दिल्ली के विकास को चरम पर पहुंचा दिया था दिल्ली को एक नई पहचान दी थी, जो पिछले पांच साल में पूरी तरह मिट गई है। चुनावी जंग आरंभ हो गई है। देखें, ऊंट किस करवट बैठता है?

-अनिल नरेन्द्र

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