Tuesday, 14 January 2020

सुप्रीम कोर्ट का फैसला मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं को अनिश्चितकाल तक बंद नहीं किया जा सकता। इंटरनेट का इस्तेमाल संविधान की अनुच्छेद 19(1) के तहत मौलिक अधिकार है। हालांकि पिछले साल अगस्त में जब धारा 144 लागू करने के साथ-साथ कश्मीर में इंटरनेट पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी, तभी से अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों और राजनीतिक दलों ने सरकार के इस फैसले की सख्त आलोचना की थी। इसे अभिव्यक्ति की आजादी बाधित किए जाने के तौर पर देखा गया था और सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की गई थी। तमाम आलोचनाओं व विरोध के बावजूद सरकार ने इस मांग को नजरंदाज किया। इतने महीनों से अशांति फैलाने की आशंका का हवाला देकर कश्मीर में धारा 144 के साथ-साथ इंटरनेट पर पाबंदी को कायम रखा गया। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में जो टिप्पणियां की हैं, वह सरकार के इस फैसले को एक तरह से कठघरे में खड़ा करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को संविधान के अनुच्छेदद 370 के अधिकांश प्रावधान खत्म करने के बाद लगाए गए प्रतिबंधों की एक हफ्ते के अंदर समीक्षा करने को कहा है। कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से बैंकिंग, अस्पताल, शिक्षण संस्थानों समेत सभी जरूरी सेवाएं देने वाले संस्थानों में इंटरनेट सेवा बहाल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि इंटरनेट को सरकार अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं कर सकती। कोर्ट ने इंटरनेट के इस्तेमाल को अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा माना है। जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि लोगों को असहमति जताने का पूरा अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 144 का जिक्र करते हुए कहा कि इसका इस्तेमाल सोच-समझकर ही किया जाना चाहिए। विरोधी विचार को कुचलने के औजार के तौर पर इसका दुरुपयोग न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कश्मीर में हिंसा का लंबा इतिहास रहा है। हमें स्वतंत्रता और सुरक्षा में संतुलन बनाए रखना होगा। नागरिकों के अधिकारों की रक्षा भी जरूरी है। इंटरनेट को जरूरत पड़ने पर ही बंद किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का हिस्सा है। इंटरनेट इस्तेमाल की स्वतंत्रता भी आर्टिकल 19(1) का हिस्सा है, कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि धारा 144 का इस्तेमाल किसी के विचारों को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता। पांच अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 खत्म करने के बाद से पूरे प्रदेश में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। नए साल में मोदी सरकार के लिए पहला बड़ा झटका करार देते हुए शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने दावा किया कि सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी और इस बार शीर्ष अदालत किसी दबाव में नहीं आई। कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। चिदम्बरम ने कहा कि अदालत का फैसला केंद्र के अहंकारी रुख को खारिज करता है। निश्चित रूप से यह मोदी सरकार के लिए करारा झटका है।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment