लोकसभा चुनाव के बाद से दिल्ली में वोटरों की संख्या
2.6 प्रतिशत के करीब बढ़ गई है।
दिल्ली चुनाव आयोग ने वोटरों की जो लिस्ट तैयार की है, उसमें
संख्या एक करोड़, 46 लाख, 92 हजार,
136 है। इनमें पहली बार वोट डालने वाले वोटरों (18-19) साल की सख्या दो लाख आठ हजार और 80 साल से अधिक उम्र
के बुजुर्ग वोटरों की संख्या दो लाख, पांच हजार है। दिल्ली चुनाव
आयोग छह जनवरी को फाइनल वोटरलिस्ट चुनाव आयोग को देगा। उम्मीद की जा रही है कि एक बार
जब फाइनल लिस्ट चुनाव आयोग के पास आ जाएगी तो वह चुनावों की घोषणा छह जनवरी के बाद
कर सकता है। आने वाले किसी भी दिन दिल्ली विधानसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है। सत्ता
के दावेदार आम आदमी पार्टी (आप) भाजपा और
कांग्रेस अपने-अपने तरीके से चुनाव प्रचार शुरू कर चुके हैं।
इस काम में सबसे आगे दिल्ली की सत्ता में बैठी आम आदमी पार्टी (आप) है। उसके नेता और दिल्ली के मुख्यमत्री अरविन्द केजरीवाल
पिछले चुनावों की तरह बिजली-पानी माफ के बूते चुनाव जीतने की
तैयारी में हैं। उधर पिछले रविवार को करीब 1800 अनाधिकृत कॉलोनियों
के निवासियों को मालिकाना हक दिलाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देने
के नाम पर रामलीला मैदान में रैली करके भाजपा ने चुनाव अभियान की विधिवत शुरुआत कर
दी। भाजपा का संकट यह है कि वह मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार अब तक घोषित नहीं कर पाई
है। कई समितियां बनाकर अनेक नेताओं को उलझाए रखने का उपक्रम पार्टी ने किया है। भाजपा
ने झारखंड की हार से सबक लिया है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद
भाजपा सरकार नहीं बना पाई तो हरियाणा में भी पार्टी अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार
बनाने में नाकाम रही। ऐसे में दिल्ली का 21 सालों का वनवास भाजपा
कैसे खत्म कर पाएगी, यह अब पार्टी के सामने सबसे बड़ा सवाल बनता
जा रहा है। हालांकि पार्टी के कुछ नेता भाजपा की हार या उम्मीद से ज्यादा जीत न मिलने
के अलग-अलग कारण बता रहे हैं, जिसमें एंटी
एनकंबेंसी प्रमुख है, लेकिन पार्टी के दूसरे धड़े के नेताओं का
मानना है कि नतीजों से भाजपा के सामने कम से कम यह तो साफ हो गया है कि राज्यों के
चुनावों में जीतना अब नेशनल मुद्दों की तरजीह नहीं दे रही है। उधर कांग्रेस पार्टी
दोनों विधानसभा चुनाव और 2017 के निगम चुनाव में तीसरे नम्बर
पर पहुंचकर कांग्रेस एक तरह से हाशिये पर पहुंच चुकी है। 2015 के बाद के हर चुनाव में आप ने कांग्रेस को मुख्य मुकाबले से बाहर करने का प्रयास
किया और तब से कांग्रेस जनों ने उसे ज्यादा सफल नहीं होने दिया। नए प्रदेशाध्यक्ष सुभाष
चोपड़ा और चुनाव अभियान के प्रमुख कीर्ति आजाद में तालमेल ही नहीं बन पा रहा है। सट्टेबाजों
ने दिल्ली में 2020 विधानसभा चुनावों को लेकर अपने दाव खेल दिए।
सब जानते हैं कि इस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में आम
आदमी पार्टी (आप) की सरकार है। सट्टेबाजों
के अनुसार अगर आज की तारीख में विधानसभा चुनाव हो जाएं तो आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में वापसी करते हुए 48-50 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। वहीं भाजपा को सट्टेबाजों ने 18-20
सीटें दी हैं। इसके अलावा कांग्रेस को चार-पांच
सीटें मिलने को लेकर भाव लगाए जा रहे हैं। अभी भाव इन्हीं सीटों को लेकर लग रहे हैं।
सट्टा बाजार के यह दावे अकसर चुनाव परिणामों जैसे ही रहते हैं। इससे पहले भी सट्टेबाजों
की भविष्यवाणी लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों में सच साबित हो चुकी है।
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