Friday 24 January 2020

कर्ज चुकाने हेतु पाक पीओके का हिस्सा चीन को देगा

द यूरेशियन टाइम्स की भारत के लिए चिंताजनक रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन के शिनजियांग प्रांत को ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट के कर्ज का बोझ पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए भारी साबित होने लगा है। विशेषज्ञों ने पहले ही सीपीईसी प्रोजेक्ट को पाकिस्तान के लिए ऋण के अंधे कुएं सरीखा बता चुके हैं। इस प्रोजेक्ट के निर्माण की सारी जिम्मेदारी चीनी कंपनियों को ही दी गई है, जो चीनी प्रशिक्षित मजदूरों को ही लाकर काम कर रही है और निर्माण सामग्री भी चीन से ही आयात की जा रही है, जिसका बोझ पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को उठाना पड़ रहा है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इस प्रोजेक्ट के चलते पाकिस्तान में स्थानीय स्तर पर न के बराबर रोजगार सृजित हुए हैं और न के बराबर ही वहां की अर्थव्यवस्था को सामग्री को खरीदने-बेचने से गति मिली है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि अपनी लगातार गिरती अर्थव्यवस्था से जूझ रहा पाकिस्तान इस कर्ज को उतारने के लिए अपने कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का कुछ हिस्सा चीन को सौंप सकता है। द यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की तरफ से यह कदम उठाए जाने पर चीन को भारत की तरफ से कड़ा प्रतिरोध किए जाने का डर है, जो पहले ही सीपीईसी को पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से गुजारने को अपनी संप्रभुता का हनन बताते हुए विरोध जता चुका है। भारत का दावा है कि यह क्षेत्र उनके अखंड जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा है। करीब 61 अरब डॉलर के सीपीईसी प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान दिसम्बर, 2019 तक चीन से करीब 21.7 अरब डॉलर कर्ज ले चुका था। इनमें से 15 अरब डॉलर का कर्ज चीन की सरकार ने और शेष 6.7 अरब डॉलर का कर्ज वहां के वित्तीय संस्थानों से लिया गया था। पाकिस्तान के सामने इस कर्ज को वापस लौटाना अब बड़ी समस्या बन गया है क्योंकि अर्थव्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त हो जाने से उसके पास महज 11.5 अरब डॉलर की ही विदेशी मुद्रा भंडार रह गया है। भारत पूरे पीओके को अपना हिस्सा मानता है और यह बात भारत की संसद में भी स्वीकार हो चुका है। अब सवाल यह उठता है कि अगर पाकिस्तान ने चीन को पीओके का कुछ हिस्सा कर्ज चुकाने के लिए दे दिया तो भारत के पास क्या विकल्प बचेगा?

-अनिल नरेन्द्र

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