भारतीय
विमानन क्षेत्र के लिए बीता साल निराशाजनक रहा। हालांकि सरकार की उड़ान योजना से घरेलू
विमानन क्षेत्र को कुछ उम्मदें मिलीं,
लेकिन सरकारी कंपनी एयर इंडिया की खराब वित्तीय हालत तथा 27 साल पुराने कंपनी जेट एयरवेज के बंद हो जाने से इस क्षेत्र में अनिश्चितता
बढ़ गई। सरकारी कंपनी एयर इंडिया का कर्ज बढ़कर 80 हजार करोड़
रुपए पर पहुंच गया है और उसे रोजाना 22 से 25 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने संवाददाताओं
को बताया कि एयर इंडिया पर कर्ज का बोझ इस हद तक पहुंच चुका है कि जहां ऋण प्रबंधन
असंभव है और एयरलाइन के निजीकरण के अलावा कोई उपाय नहीं है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ
सप्ताह में कंपनी के निजीकरण के लिए निविदा जारी की जाएगी। हालांकि निजीकरण नहीं होने
की स्थिति में छह महीने में कंपनी के बंद होने की मीडिया में छाई खबरों को वह टाल गए।
पुरी ने कहा कि हमें एयर इंडिया का निजीकरण करना है, इसमें कोई
संदेह नहीं है। नई निजी कंपनियों तक स्थापित विमान सेवा कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाई
है। आने वाले कुछ सप्ताहों में इसके लिए निविदा जारी की जाएगी। तभी पता चल सकेगा कि
कितनी कंपनियां वाकई इसे खरीदने में रुचि रखती हैं। पुरी ने बताया कि एयर इंडिया राष्ट्रीय
सम्पत्ति और देश के विमानन क्षेत्र का ध्वजवाहक है। उसके बेड़े में करीब 120
विमान हैं। घरेलू गंतव्यों के अलावा 40-50 विदेशी
शहरों तक उसके नेटवर्प का विस्तार है। सुरक्षा के मामले में उसका रिकॉर्ड बेहतरीन रहा
है। उन्होंने कहा कि सरकार एयर इंडिया को नीलाम नहीं कर रही, उसका निजीकरण कर रही है। वह चाहती है कि ऐसी कंपनी एयरलाइंस खरीदे जो वित्तीय
मोर्चे पर मजबूत हो।
-अनिल नरेन्द्र
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