Wednesday, 22 January 2020

रूस की द जनवरी रिवोल्यूशन

रूस की आंतरिक राजनीति में क्या कुछ घट रहा है, आमतौर पर इसकी कम ही खबर सुनने को मिलती है। पर गत सप्ताह एक चौंकाने वाली खबर आई है। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने देश में व्यापक संवैधानिक सुधारों का प्रस्ताव रखने के बाद रूस के प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव और उनकी पूरी कैबिनेट ने अचानक इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री मेदवेदेव ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन के इन प्रस्तावों में सत्ता संतुलन में काफी अहम बदलाव आएंगे। उन्होंने कहा कि यह बदलाव जब लागू हो जाएंगे तो न सिर्प संविधान के सभी अनुच्छेद बदल जाएंगे बल्कि सत्ता संतुलन और ताकत में भी बदलाव आएगा। एग्जीक्यूटिव की ताकत, विधानमंडल की ताकत, न्यायपालिका की ताकत, सबमें बदलाव होगा। इसलिए मौजूदा सरकार ने इस्तीफा दिया है। राष्ट्रपति पुतिन ने संविधान में बदलाव के जो प्रस्ताव रखे हैं उनके लिए देशभर में वोट डाले जाएंगे। इसके जरिये सत्ता की ताकत राष्ट्रपति के बजाय संसद के पास ज्यादा होगी। पुतिन ने प्रधानमंत्री का पद छोड़ रहे दिमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का डिप्टी चेयरमैन बनाने का फैसला किया है। रूस में राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी मजबूत राजनीतिक पकड़ साबित करते हुए गत गुरुवार को प्रधानमंत्री पद के लिए मिखाइल वी. मिशुस्तिन का नाम प्रस्तावित किया। चन्द मिनटों में ही उनके नाम पर पार्टी ने सर्वसम्मति की मुहर लगा दी। संसद में अपने पहले संबोधन में मिगस्टीन ने कहाöहमें ऐसे कार्य करने हैं जिनसे जनता अपने जीवन में बेहतरी महसूस करे। पुतिन की इच्छा पर बुधवार को ही प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव ने मंत्रिपरिषद के साथ इस्तीफा दे दिया था। रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा में अब प्रधानमंत्री के तौर पर मिशुस्तिन के नाम की स्वीकृति के लिए मतदान होगा। पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी को ड्यूमा में बहुमत प्राप्त है। इसलिए संसद की स्वीकृति में कोई कठिनाई नहीं होगी। मिशुस्तिन (53) रूस में राजस्व सेवा के अधिकारी थे। जब उन्होंने अप्रत्याशित तरीके से देश का संग्रह बढ़ाया तो वह चर्चा में आए और उन्हें लोगों की तारीफ मिली। यही बात उन्हें पुतिन की नजरों में लाई। नतीजा पुतिन ने मिशुस्तिन को क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े देश का प्रधानमंत्री बना दिया। आलोचकों के अनुसार खुफिया अधिकारी रह चुके पुतिन राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद भी सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहते हैं इसीलिए उन्होंने मेदवेदेव की जगह राजनीतिक तौर पर कमजोर मिशुस्तिन को प्रधानमंत्री बनाया है। संविधान में बदलाव कर पुतिन 2024 में राष्ट्रपति पद का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी सत्ता में अपने लिए महत्वपूर्ण भूमिका का प्रावधान कर सकते हैं। पुतिन रूस की सत्ता पर पिछले 20 साल से काबिज हैं। विपक्ष के नेता लियोनिद वोलकोव ने कहा है कि पुतिन जीवनभर सत्ता में बने रहने के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं। द कोमसेंट बिजनेस डेली ने पुतिन के इस कदम को द जनवरी रिवोल्यूशन की संज्ञा दी है जिसमें उन्होंने बड़े बदलाव की नींव रख दी है। इसके तहत अभी और कई काम होने हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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