Wednesday, 8 January 2020

जेएनयू में खूनी बवाल ः जिम्मेदार कौन?

फीस बढ़ोत्तरी के विरोध से उपजे माहौल के बीच जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में संघर्ष ने खूनी रंग ले लिया। वामपंथी दल की छात्र इकाई आइसा व जेएनयू छात्र संघ की हित की लड़ाई ने खतरनाक मोड़ ले लिया। आरोप-प्रत्यारोप के बाद आइसा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) दोनों आपस में भिड़ गए। जेएनयू में रविवार शाम नकाबपोश बदमाशों ने 37 से ज्यादा छात्रों और दो टीचरों की पिटाई की और कैंपस में तोड़फोड़ की। जानकारी के मुताबिक जेएनयू के विभिन्न हॉस्टल और साबरमती ढाबे के पास भी मारपीट की गई। टकराव के बाद आई तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि कुछ नकाबपोश गुंडे अपने हाथों में डंडों, रॉडों को लेकर जेएनयू में बिना किसी रोकटोक के घुस रहे हैं और चुने हुए टारगेटों पर हमला कर रहे हैं। सामने आई तस्वीरों ने जेएनयू परिसर का आंखों देखा हाल बयान किया। तोड़फोड़ की तस्वीरों के साथ जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्षा आईशी घोष की तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें उनके सिर से खून निकलता दिख रहा है। वहीं एक वीडियो में सामने आया है जिसमें आईशी घोष ने कहा कि उन्हें नकाबपोशों द्वारा बहुत बुरी तरह से पीटा गया। वहीं कुछ तस्वीरों में छात्र/कार्यकर्ता मुंह पर काले कपड़े बांधकर हाथ में डंडा तथा रॉड लिए दिखाई दे रहे हैं। वहीं जेएनयू एबीवीपी के अध्यक्ष दुर्गेश कुमार का कहना था कि जेएनयू में वामपंथी दल की इकाई आइसा ने एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को बुरी तरह से पीटा है। पिछले कुछ वर्षों से तनावग्रस्त देश के सर्वोच्च शैक्षणिक संस्थान जेएनयू में हुई भीषण हिंसा की ज्वाला फूटनी ही थी। जेएनयू से पढ़ाई करने वाले अनेक छात्र-छात्राएं देश और विदेश के प्रमुख संस्थाओं में कार्यरत हैं। यहां के अधिकतर छात्र और शिक्षक वामपंथी रूझान वाले हैं, लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित छात्र संगठन एबीवीपी की सक्रियता बढ़ी है। इसको कहने में हमें कोई संकोच नहीं कि इसके बाद से ही जेएनयू में वैचारिक रूप से परस्पर विरोधी वाम छात्र संगठनों और एबीवीपी आमने-सामने हैं। पिछले दिनों कई ऐसे अवसर आए जब इन दोनों संगठनों के बीच जमकर टकराव हुए हैं। बीते रविवार को जो हिंसा हुई उसे लेकर दोनों संगठन एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वाम नियंत्रित छात्र संघ का कहना है कि एबीवीपी के सदस्यों ने नकाब पहनकर मारपीट और हिंसा की है, जबकि एबीवीपी ने दावा किया है कि वामपंथी छात्र संगठनोंöएमएफआई, आइसा और डीएसएफ से जुड़े छात्रों ने हम पर हमला किया है। इसके पीछे सच्चाई क्या है, इसका पता तो जांच-पड़ताल के बाद ही चल पाएगा, लेकिन कुछ सवाल ऐसे हैं, जिनका जवाब पुलिस और प्रशासन को जरूर देना पड़ेगा। हिंसा करने वाले नकाबपोशों की तस्वीर वायरल हो चुकी है। पुलिस और प्रशासन का फर्ज बनता है कि वह इन नकाबपोशों की तत्काल पहचान करें और उनके खिलाफ न्यायिक कार्रवाई हो। सवाल यह भी है कि विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर 24 घंटे सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं, इसके बावजूद हथियारबंद नकाबपोश दिनदहाड़े परिसर में आखिर कैसे दाखिल हो गए? दुर्भाग्यपूर्ण यह भी है कि इस मामले का राजनीतिकरण किया जा रहा है।

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