Thursday, 16 January 2020

अमेरिका-ईरान युद्ध के छंटते बादल?

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को संकेत दिया कि वह इराक में अमेरिकी ठिकानों पर ईरानी मिसाइल हमलों का जवाब सैन्य तरीके से नहीं देगा, जिसके बाद दोनों देशों में युद्ध की स्थिति में पहुंचने से पहले अपने कदम थामते दिखे। ईरानी नेताओं और लोगों को सीधा संदेश देते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका उन सभी के साथ शांति के लिए तैयार है, जो शांति चाहते हैं। उन्होंने कहाöईरान के नेताओं और लोगों के लिए हम चाहते हैं कि आपका शानदार भविष्य हो जिसके आप हकदार हैं। ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने ट्वीट के जरिये कहा है कि ईरान युद्ध बढ़ाना नहीं चाहता। साफ तौर पर इससे यह समझना चाहिए कि आगे अगर अमेरिका कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा, तो ईरान भी कुछ नहीं करेगा। यह संतोष की बात है कि जो युद्ध के बादल छाए थे वह धीरे-धीरे छंटने लगे हैं। बेशक दोनों के पीछे हटने के अपने-अपने कारण हों। ईरान और अमेरिका युद्ध नहीं चाहते हैं, इसलिए तनाव कम करने के लिए कदम उठाते दिख रहे हैं। ऐसा राष्ट्रपति ट्रंप के बयान और ईरान के  मिसाइल अटैक में भी देखने को मिली। ईरान इसलिए भी युद्ध से पीछे हट रहा है, क्योंकि उसके आर्थिक और अंदरूनी हालात अच्छे नहीं हैं। अमेरिका के लोग युद्ध नहीं चाहते हैं। ट्रंप ऐसा पहले कई बार कह चुके हैं। वहां इस साल राष्ट्रपति चुनाव भी होना है, यदि युद्ध होता है तो ट्रंप को कैंपेन में इसके नतीजों का जनता को जवाब देना होगा। ईरान का पुराना रिकॉर्ड हमेशा तार्पिक फैसले लेने वाला रहा है। खाड़ी में तनाव का कम होना हर किसी के लिए फायदेमंद है। चीन, रूस, सऊदी अरब, इजरायल और यूरोपीय देश भी युद्ध नहीं चाहते हैं। इसलिए वह शांति और संयम बरतने की बार-बार सलाह दे रहे हैं। क्योंकि दुनिया का कोई भी देश फिलहाल युद्ध को अफोर्ड करने की हालात में नहीं है। हालांकि ईरान-अमेरिका के बीच बातचीत सीधी ही संभव है, किसी तीसरे पक्ष की गुंजाइश नहीं है। ईरान कोई भी गैर-जिम्मेदाराना कदम उठाता है तो दुनिया के अन्य देश उसके खिलाफ हो जाएंगे, जो अभी साथ हैं। खाड़ी में तनाव कम होना हर लिहाज से भारत के लिए फायदेमंद होगा। खाड़ी में बड़ी संख्या में भारतीय हैं, इसलिए नौसेना लोगों को निकालने के लिए तैयार है। हालांकि अभी ऐसी नौबत नहीं आई है। भारत में सबसे ज्यादा पैसा और तेल यहीं से आता है। खासकर इराक के हालात, क्योंकि खाड़ी में इराक भारत को तेल निर्यात करने वाला दूसरा बड़ा देश है। ईरान के चाबहार पोर्ट में भी भारत का बड़ा निवेश है। हम अमेरिका और ईरान के युद्ध के बादल छंटने पर बधाई देते हैं। इन दोनों में युद्ध पूरे विश्व को प्रभावित करेगा। सभी को इसे टालने का प्रयास करना चाहिए। दोनों देशों को संयम से काम लेना होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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