Thursday, 2 January 2020

कश्मीर पर ओआईसी बैठक की तैयारी में सऊदी अरब

खबर आई है कि सऊदी अरब ने कश्मीर मुद्दे पर सभी इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों के ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (ओआईसी) बैठक आयोजित करने जा रहा है। माना जा रहा है कि इस बैठक से इस खाड़ी देश और भारत के रिश्तों में खटास आ सकती है। हाल ही में मलेशिया में भी इस तरह के एक इस्लामिक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाना था, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल हो रहा था। लेकिन सऊदी अरब द्वारा पाकिस्तान को मना किए जाने के बाद उसने सम्मेलन से खुद को बाहर कर लिया था। इसलिए माना जा रहा है कि रियाद का कश्मीर मुद्दे पर बैठक करने का फैसला इस्लामाबाद को अपनी तरफ रखने के लिए एक कदम है। पाकिस्तान को किंग्डम द्वारा इस मुद्दे पर बैठक की जानकारी सऊदी विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान अल-सऊद के इस सप्ताह इस्लामाबाद की यात्रा के दौरान दिया गया था। दरअसल पुंआलालमपुरम के प्रधानमंत्री डाक्टर महातिर मोहम्मद की अध्यक्षता में इस्लामिक मुद्दों पर बैठक से बाहर निकलने के लिए सऊदी अरब द्वारा पाकिस्तानी पीएम इमरान खान को मजबूर किया था। इसलिए यह कदम पाकिस्तान को रियायत देने के लिए उठाया गया है। मलेशिया की राजधानी में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में पाकिस्तान, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन और मलेशियाई पीएम महातिर मोहम्मद के साथ एक प्रमुख प्रस्तावक था। लेकिन सऊदी अरब के पाकिस्तान को मना करने के बाद उसने खुद को इस सम्मेलन से बाहर कर लिया। सऊदी के लिए चिन्ता की बात यह थी कि इस सम्मेलन में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भी भाग लेने वाले थे, जिसे सऊदी के लिए एक खतरे के रूप में देखा जा रहा था। फिलहाल ओआईसी बैठक की तारीखों को तय किया जा रहा है। सऊदी अरब की बैठक आयोजित करने के लिए सहमत होना, रियाद और नई दिल्ली के रिश्तों में नकारात्मक रूप से देखा जा रहा है क्योंकि पिछले कुछ सालों से भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी काफी बढ़ी है। वहीं पाकिस्तान को लग रहा था कि कश्मीर मुद्दे पर उसे किसी भी इस्लामिक देश का समर्थन नहीं मिल रहा था, लेकिन अब इस बैठक को एक समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। कश्मीर मसले पर ओआईसी का रुख भले ही कुछ हो, लेकिन इस संगठन के ज्यादातर सदस्य देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय रिश्ते अच्छे रहे हैं। पाकिस्तान ने ओआईसी में जब-जब कश्मीर मुद्दा उठाया है, उसे कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि पाकिस्तान के कहने पर सारे मुस्लिम देश भारत के खिलाफ हो गए हों और भारत के साथ उनके रिश्तो में कोई बड़ा बदलाव आया हो। बैठकों के बाद भारत के खिलाफ साझा बयान भले ही जारी होते हों, लेकिन बैठक से इतर सदस्य देश कश्मीर को भारत का अंदरूनी मामला कहकर बच निकलने की नीति पर चलते हैं। ऐसे में पाकिस्तान को ओआईसी का समर्थन भी मिल जाता है, लेकिन तब भी उसे कुछ हासिल नहीं होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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