Friday, 17 January 2020

सीएए के खिलाफ केरल से खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), 2019 के खिलाफ केरल रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। अब यह देश का पहला राज्य बन गया है जिसने सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। केरल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया है। इससे पहले राज्य में सीएए लागू नहीं करने का प्रस्ताव विधानसभा में पास कर रिकॉर्ड बनाया जा चुका है। वह ऐसा करने वाला देश का पहला और अकेला राज्य है। सरकार ने मांग की है कि इस कानून को संविधान में प्रदत्त समता, स्वतंत्रता व पंथनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला करार दिया जाए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली केरल की सरकार ने याचिका में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियम 2015 और विदेशी (संशोधन) आदेश 2015 की वैधता को भी चुनौती दी है। यह नियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों के यहां रहने को नियमित करती है जो 31 दिसम्बर 2014 से पहले इस शर्त पर भारत में दाखिल हुए थे कि वह अपने घर से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भाग आए थे। याचिका में कानून और न्याय मंत्रालय के सचिव और भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है। सीएम पिनराई विजयन ने कहा कि राज्य सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में इसलिए गया क्योंकि यह कानून संवैधानिकता शुचिता के खिलाफ है। यह संविधान के भीतर रहते हुए नागरिक अधिकारों की रक्षा करने की हमारी ओर से हस्तक्षेप किया गया है। गौरतलब है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के प्रावधान वाले सीएए का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसमें मुसलमानों को नहीं रखा गया है जो धार्मिक आधार पर भेदभाव का मामला है। विपक्षी दलों का कहना है कि संविधान धार्मिक आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता है। वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि चूंकि तीनों पड़ोसी देशों में गैर-मुस्लिमों के साथ धार्मिक आधार पर ही उत्पीड़न होते हैं, इसलिए उन्हें नागरिकता देने का विशेष प्रबंध किया गया है। केंद्र सरकार का कहना है कि इससे विदेशी मुसलमानों को भारतीय नागरिकता नहीं देने का कहीं उल्लेख नहीं है। सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही 60 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। कोर्ट इन याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई करेगी। पिछली सुनवाई में इस कानून पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया था। संशोधित कानून 10 जनवरी से लागू हो गया है। इस कानून में 31 दिसम्बर 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए प्रताड़ित हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध समुदाय के सदस्यों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। देखें, 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में क्या होता है?

-अनिल नरेन्द्र

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