Wednesday, 1 January 2020

परमाणु बटन दबाने हेतु पीएम के प्रधान सलाहकार जनरल रावत

जनरल बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बन गए हैं। सोमवार देर रात सरकार ने इसकी घोषणा की। कैबिनेट द्वारा 24 दिसम्बर को स्वीकृत किया गया सीडीएस का चार्टर काफी व्यापक है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर इसे पूरी तरह से लागू किया जाए तो यह तीनों सेनाओं के बीच बेहतरीन समन्वय को अंजाम दे सकता है क्योंकि कई बार सैन्य बजट में हिस्सेदारी को लेकर तीनों सेनाओं के बीच खींचतान भी चलती है। सीडीएस एक चार सितारा जनरल की हैसियत से आर्मी, नेवी और वायुसेना के साझा मुखिया होगा। हालांकि तीनों अंगों के अलग-अलग प्रमुख होंगे और उनका दर्जा भी चार सितारा ही होगा। सीडीएस के रूप में जनरल रावत सरकार के सैन्य सलाहकार होंगे और उसे महत्वपूर्ण रक्षा और रणनीतिक सलाह देंगे। तीनों सेनाओं के लिए दीर्घकालिक रक्षा योजनाओं, रक्षा, प्रशिक्षण और परिवहन के लिए प्रभावी समन्वयक का कार्य करेंगे। खतरों और भविष्य में युद्ध की आशंकाओं के मद्देनजर तीनों सेनाओं में आपसी सामंजस्य और मजबूत नेटवर्प बनाने का जिम्मा सीडीएस के कंधों पर होगा। लगभग सभी परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों में सीडीएस का पद रखा गया है। खास बात यह है कि सीडीएस के तौर पर परमाणु कमान के जनरल रावत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रहेगी। परमाणु बटन दबाने के मामले में वह प्रधानमंत्री के प्रधान सलाहकार रहेंगे। 2003 में गठित परमाणु कमान अथॉरिटी में 16 साल बाद महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। परमाणु कमान में प्रधानमंत्री के अधीन दो काउंसिल थीं। एक राजनीतिक और दूसरी कार्यकारी। परमाणु हथियार के इस्तेमाल का फैसला राजनीतिक काउंसिल ही लेती थी। कार्यकारी काउंसिल एनएसए की अध्यक्षता में काम करती रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा पर टास्क फोर्स के सदस्य और देश का परमाणु सिद्धांत लिखने वाले पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश के अनुसार परमाणु कमान में सीडीएस की भूमिका स्पष्ट होने से अब सैन्य सलाह का फैसला एकदम सही हाथों में आ गया है। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को साझा सेनाओं की कमान यूं ही नहीं मिली। 2016 में सेना प्रमुख बने जनरल रावत 31 दिसम्बर को इस पद से रिटायर होने के साथ ही चीफ ऑफ स्टाफ का बैटन पद संभाला है। जनरल रावत के सेना के अलग-अलग पदों पर रहते हुए उनके पास युद्ध और सामान्य परिस्थितियों का पर्याप्त अनुभव है। सीडीएस देश के रक्षा तंत्र में नई शुरुआत है और जनरल रावत की योग्यता और अनुभव ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जनरल रावत केंद्र सरकार के और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा रहे हैं। दिसम्बर 2016 में जब उन्हे सेना प्रमुरख बनाया गया था, तब उनसे वरिष्ठ दो अन्य अफसर इस पद के दावेदार थे, लेकिन सरकार ने उन पदों के दावों को दरकिनार कर दिया। बता दें कि गोरखा ब्रिगेड में कमीशन पाकर सेना प्रमुख के पद तक पहुंचने वाले वह पांचवें अफसर हैं। जम्मू-कश्मीर में जो परिस्थितियों से निपटना, पाकिस्तान से आए दिन झड़प किसी भी समय फुल स्केल जंग में बदल सकती है। इन्हीं को ध्यान में रखकर सरकार ने जनरल रावत को सीडीएस बनाया है।

-अनिल नरेन्द्र

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