करनाल के पूर्व सांसद एवं पंजाब केसरी के पूर्व
संपादक अश्विनी चोपड़ा (मिन्ना) का शनिवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। एक वरिष्ठ पत्रकार
व दोस्त मिन्ना इस दुनिया से चल बसा। हमारे परिवार की तरह मिन्ना का परिवार भी देश
के विभाजन के बाद भारत आकर बस गया। हमारा परिवार दिल्ली आ गया और मिन्ना के दादा लाला
जगत नारायण जालंधर आकर बस गए। दोनों ही परिवारों ने भारत में अपनी नई जिंदगी शुरू की।
पंजाब में आतंकवाद के शिकार लाला जगत नारायण भी हुए और उनके बेटे (मिन्ना के पिता) रमेश चंद्र जी भी हुए। जमीन से दोनों
परिवारों ने नई जिंदगी आरंभ की। मिन्ना काफी समय से फेफड़े के कैंसर से पीड़ित थे।
अश्विनी ने शनिवार को 11.45 बजे अंतिम सांस ली। बीमारी की वजह
से उन्होंने 2019 में चुनाव लड़ने से मना कर दिया था।
63 वर्षीय अश्विनी चोपड़ा हिन्दी समाचार पत्र पंजाब केसरी के संपादक
थे। उन्हें मिन्ना के नाम से भी जाना जाता था। काफी समय तक उनका विदेश में भी इलाज
चला। पिछले दिनों हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी मेदांता पहुंचकर अश्विनी
का हालचाल जाना था। वह 2014 में भाजपा की सीट पर करनाल लोकसभा
से जीतकर संसद पहुंचे थे। 2019 में पार्टी फिर उन्हें सीट देना
चाहती थी, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने मना कर दिया
था। अश्विनी चोपड़ा ईमानदारी और बेबाकी के लिए हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगे। अश्विनी
के निधन की खबर आते ही देश के प्रधानमंत्री सहित तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेताओं,
बुद्धिजीवियों व खिलाड़ियों के अंदर शोक की लहर फैल गई। अश्विनी मिन्ना
एक शानदार क्रिकेटर भी रहे। वह पंजाब की रणजी टीम में खेले और सीके नायडू ट्रॉफी जीतने
वाली नॉर्थ जोन की टीम के सदस्य भी रहे। दाएं हाथ के लोग ब्रेक गेंदबाज अश्विनी को
युवावस्था के दिनों में भारतीय स्पिन गेंदबाज का उभरता सितारा माना जाता रहा था। उनकी
स्पिन गेंदबाजी का जलवे के कारण भारत के शीर्ष स्पिनर बिशन सिंह बेदी, वेंकट राघवन और चद्रशेखर ने उन्हें भारत के आगामी शीर्ष स्पिनरों में शुमार
होने के काबिल बताया था। परिवार में हुई अचानक त्रासदियों ने उन्हें अपना क्रिकेट कैरियर
छोड़कर पत्रकारिता करने के लिए मजबूर किया तो उन्होंने यहां भी अपनी प्रतिभा का जलवा
दिखाया। वह भारतीय टीम के चयन के लिए दावेदार थे लेकिन उससे पहले ही उन्हें क्रिकेट
छोड़नी पड़ी। जब अटल जी न्यूयॉर्प संयुक्त राष्ट्र संघ के संबोधन के लिए गए थे तो अश्विनी
(मिन्ना) और मैं भी उस टीम में शामिल था। हमने
यात्रा के दौरान घंटों बातें कीं। अश्विनी की इतनी शानदार तरीके से अंतिम यात्रा के
लिए जिस तरह नेता से लेकर आम आदमी, पत्रकार शामिल हुए उससे उनकी
लोकप्रियता का पता चलता है। हम शोकाकुल परिवार को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं। मैंने
तो एक साथी पत्रकार, एक दोस्त खो दिया। भगवान उसकी आत्मा को शांति
दे। ओम शांति-शांति-शांति।
-अनिल नरेन्द्र
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