लंबे समय से अमेरिका और ईरान के बीच चले आ रहे तनाव के वर्ष 2020 में कुछ कम होने की उम्मीद थी। लेकिन नए साल के पहले सप्ताह में भी अमेरिका-ईरान के बीच जो स्थिति बन गई है उससे खाड़ी में हालात बिगड़ गए हैं। ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद,
खाड़ी में हालात और बिगड़ गए हैं। ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद खाड़ी में तनाव चरम पर है। पूरा ईरान बदले की कार्रवाई की बात कर रहा है। ऐसे में ईरान की ओर से कोई भी बड़ी कार्रवाई से खाड़ी में हालात और बिगड़ सकते हैं। इसके जवाब में अमेरिका और उसके सहयोगी देश भी ईरान के पतिष्ठानों पर हमला कर सकते हैं। अमेरिका ने मध्यपूर्व में अपने सैनिकों की तैनाती को बढ़ाना शुरू कर दिया है। साथ ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़े हमले की धमकी भी दी है। ब्रिटेन भी फारस की खाड़ी रायल नेवी की तैयारी कर रहा है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री होमिनिक राव ने कहा कि युद्ध किसी का हित नहीं करता। उन्होंने ईरान के मारे गए जनरल कासिम सुलेमानी की मौत को क्षेत्रीय खतरा बताया। वहीं रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अमेरिकी हमले के बाद क्षेत्र में हालात और खराब होंगे। इस बीच ईरान के सर्वोच्च नेता के सैन्य सलाहकार ने रविवार को कहा कि जनरल सुलेमानी की मौत के बदले में हम भी सैन्य पतिकिया से ही जवाब देंगे। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि पतिकिया सैन्य होगी और सैन्य पतिष्ठानों के खिलाफ होगी। चीन ने अमेरिका को रविवार को चेताते हुए कहा कि अपनी शfिक्त का बेजा दुरुपयोग करना बंद करे। चीन के विदेश मंत्री वांग ची ने इससे पहले ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ से फोन पर बातचीत की। इस दौरान वांग ची ने कहा कि अमेरिका की इस कार्रवाई से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मापदंड पभावित होंगे और इससे क्षेत्रीय परिस्थितियों में तनाव पैदा होगा। यूरोपीय संघ ने तनाव कम करने की कोशिश करते हुए ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ को ब्रसेल्स आने का न्यौता दिया है। ईयू के विदेश नीति पमुख जासेफ कोरेल ने कहा कि दोनों देशों को तनाव कम करने की ओर काम करना चाहिए। उन्होंने 2015 के ईरान परमाणु समझौते को संरक्षित रखने की जरूरत पर बल दिया। इस समय दुनिया के छह देश ईरान का साथ दे सकते हैं। रूस,
चीन, सीरिया, लेबनान, यमन व इराक युद्ध के समय ईरान के समर्थन में खड़े हो सकते हैं। इनमें रूस और चीन अमेरिका के विरुद्ध होने के कारण ईरान का साथ देते रहे हैं। जबकि अन्य चार ऐसे मुल्क
(मुस्लिम) देश हैं जहां ईरान ने अपनी मिलिशिया ताकत के जरिए पभाव बनाया है। अगर युद्ध होता है तो
80 लाख भारतीयों को पश्चिम एशिया से स्वदेश आना पड़ सकता है। 40 अरब डालर की विदेशी मुद्रा का भारत को इस सूरत में नुकसान उठाना पड़ सकता है। बता दें कि जब खाड़ी युद्ध हुआ था तो भारत सरकार एक लाख भारतीयों को वापस लाई थी। इससे कच्चे तेल के दामों में भी सीधा असर पड़ेगा। फिलहाल कच्चे तेल के दाम अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 4 पतिशत बढ़ गए हैं। आने वाले कुछ दिन बेहद चुनौतीपूर्ण होंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों अमेरिका और ईरान किसी भी युद्ध से बचेंगे।
-अनिल नरेन्द्र
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