Friday 6 May 2011

अगर पाकिस्तान अमेरिकी अभियान को रोकता तो उस पर हमला सम्भव था

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 06 मई 2011
-अनिल नरेन्द्र

अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन की मौत प्रकरण के बाद अमेरिका के पाकिस्तान से संबंधों में भारी दरार पड़ गई है। दोनों में अविश्वास की भावना चरम पर है। अमेरिका विरोधी भावनाओं के बीच पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के लिए अपनी जनता के बीच इस कार्रवाई की वकालत करना कठिन है। यही नहीं, `सर्वशक्तिमान' का तमगा लगाने वाली पाक फौज और आईएसआई के लिए भी परेशानी के कारण बन गए हैं। पाकिस्तान के नाजुक सियासी समीकरणों में कमजोर सरकार की अगुवाई कर रहे जरदारी के लिए बिना किसी बेस फायदे के अमेरिकी कार्रवाई के साथ खड़े होना उनके लिए नई मुसीबतें खड़ी कर सकता है। खासकर देश में मौजूद गहरी अमेरिका विरोधी भावनाओं और कट्टरपंथी संगठनों के खासे दबाव के बीच। वहीं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की कथनी और करनी में अन्तर के सवालों ने दोहरा संकट खड़ा कर दिया है। हालांकि जरदारी ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपना दामन साफ दिखाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। वाशिंगटन पोस्ट में लिखे आलेख में जरदारी ने कहा कि उनके मुल्क ने इस लड़ाई में नॉटो देशों की तुलना में ज्यादा सैनिक गंवाए हैं। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान फिलहाल दोनों तरफ से फंस गया है। पाकिस्तान के अन्दर कट्टरपंथी उसे जीने नहीं देंगे और बाहर अमेरिका नाक में दम कर देगा।
`द न्यूज' में प्रकाशित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान की ओर से आई धमकी में ओसामा की मौत का बदला लेने के लिए पाकिस्तान और अमेरिका, दोनों को निशाना बनाने की धमकी दी गई है। यह वही संगठन है जिसे बेनजीर भुट्टो की मौत के लिए जिम्मेदार माना जाता है। मंगलवार को लाहौर में लश्कर-ए-तोयबा के भातृ संगठन जमात-उद-दावा के मुखिया और मुंबई आतंकी हमले के मास्टर माइंड हाफिज सईद ने ओसामा को शहीद बताते हुए पाक सरकार को अल्लाह के गुस्से से डरने की हिदायत तक दे डाली। पाकिस्तानी सरजमीं पर अमेरिकी कार्रवाई में बिन लादेन की मौत जनरल कयानी और आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शुजा पॉशा के लिए भी एक संकटपूर्ण स्थिति पैदा कर सकती है।
एक कनाडाई अखबार का कहना है कि ओसामा बिन लादेन को खत्म करने की अमेरिकी कार्रवाई के दौरान हस्तक्षेप न कर पाकिस्तान बेहद भाग्यशाली रहा। स्थानीय नेशनल पोस्ट समाचार पत्र के मुताबिक परीक्षण के लिए लादेन का शव हासिल करना अमेरिका के लिए काफी महत्वपूर्ण था। साथ ही विशेष सेना के कमांडो की सुरक्षा भी। पाकिस्तान की ओर से अभियान में किसी तरह का खलल डालने के प्रयास को रोकने के लिए अमेरिकी जेट विमान बिल्कुल तैयार थे। अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस में अमेरिकी जेट हथियारों से लैस फुल एलर्ट पर थे और अगर पाकिस्तानी वायुसेना या जमीनी सेना ने कोई भी खलल पैदा किया होता तो इन विमानों को स्पष्ट आदेश थे कि आप पाकिस्तान पर हमला कर सकते हैं। लादेन प्रकरण के बाद अब पाकिस्तान भी अमेरिकी निशाने पर आ गया है। देखें जरदारी और कयानी इस विस्फोटक स्थिति को आने वाले दिनों में कैसे सम्भालते हैं।

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