Wednesday 4 May 2011

क्यों न घटा दिया जाए बलात्कारियों का पुरुषत्व?

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 03 मई 2011
-अनिल नरेन्द्र
बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लॉ ने एक ऐसा सुझाव दिया है जिस पर विवाद उत्पन्न होना स्वाभाविक है। बेशक यह एक तरीका हो सकता है पर हमारा समाज ऐसे क्रांतिकारी तरीके के लिए तैयार है, यह विचार का मुद्दा जरूर है। किस्सा कुछ यूं है। भलस्वा  डेयरी निवासी दिनेश यादव का अपनी 15 वर्षीय बेटी से दुष्कर्म का केस चल रहा था। पिता सौतेला था। लड़की की मां भगवती देवी ने अपने पहले पति की मृत्यु के बाद दिनेश यादव नाम के एक दूसरे व्यक्ति से शादी की थी। लड़की शुरुआती दिनों में ननिहाल में रहा करती थी। लेकिन नौ साल के बाद वह अपनी मां और सौतेले पिता के साथ ही रहने लगी। कोर्ट में उसकी मां ने बताया कि उसकी बेटी का बलात्कार किया गया और जब उसने अपने पति दिनेश यादव को ऐसा करने से रोका तो उसकी भी पिटाई कर दी गई। अपनी पिटाई से तंग आकर भगवती घर छोड़कर चली गई थी। हालांकि मामले में उसकी मां को सह आरोपी के तौर पर नाम दर्ज कराया गया था लेकिन लड़की ने अपनी मां के खिलाफ कुछ नहीं कहा। परिणामस्वरूप वह छूट गई। दोषी पिता को अदालत ने कसूरवार करार दिया और उसे 10 साल की जेल और 25000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए माननीय जज महोदया ने सजा के नए तरीकों पर भी विचार करने को कहा है। अदालत ने इस मामले में अंग्रेजी शब्द `केस्ट्रेशन' का प्रयोग किया है। जस्टिस कामिनी लॉ ने बलात्कारी पिता को सजा सुनाते हुए कहा कि जेल की सजा की जगह पर केस्ट्रेशन (एक प्रकार का बंध्याकरण) जैसा विकल्प अपनाया जा सकता है जिसके तहत दोषी को खास दवा का डोज और मानसिक इलाज के जरिये उसकी उग्र सेक्स प्रवृत्ति को पुंद किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इसका कुछ मानवाधिकारी संस्थाएं विरोध कर सकती हैं लेकिन पीड़ित महिला को बलात्कारी इतना मानसिक और शारीरिक आघात पहुंचा चुके होते हैं कि उसकी तुलना में इस तरह की सजा सही प्रतीत होती है। रासायनिक बंध्याकरण के परिणामस्वरूप सेक्सुअल के साथ-साथ कामेच्छा और उसकी प्रवृत्ति कम करती है। बच्चों के प्रति यौनाकर्षण कम होता है। मूल बंध्याकरण में पुरुषों के टेस्टिस हटा लिए जाते हैं। जज महोदया ने कहा यद्यपि केमिकल केस्ट्रेशन बाल यौन शोषण को निरुत्साह करने में पूर्ण समाधान नहीं देता है फिर भी बलात्कारी के लिए आजीवन कैद की जगह ऐसी सजा एक सही विकल्प है। अलग-अलग देशों में ऐसी व्यवस्था को अपनाए जाने का उदाहरण देते हुए बताया गया कि जर्मनी, इजराइल, यूके और अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में इसे अपनाया जा रहा है। जज कामिनी लॉ ने अपने फैसले में कहा कि इससे अधिक घृणास्पद घटना और क्या हो सकती है कि घर के सदस्यों पर भी विश्वास नहीं किया जा सकता है। इसलिए अपने देश में कानूनी प्रावधानों में आवश्यक बदलाव पर विचार किया जा सकता है।

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