Tuesday 31 May 2011

अन्ना हजारे ने अब सोनिया और कांग्रेस नेतृत्व पर हमला किया

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 28th May 2011
अनिल नरेन्द्र
पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस नेतृत्व पर भी हमले होने लगे हैं। हालांकि यह नाम लेकर तो नहीं किए जा रहे पर इशारा किसकी ओर है यह साफ है। पहले बात करते हैं अन्ना हजारे के ताजा सनसनीखेज हमले की। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि रिमोट कंट्रोल की वजह से समस्याएं पैदा हो रही हैं। हजारे ने हालांकि पधानमंत्री मनमोहन सिंह की पशंसा करते हुए उन्हें अच्छा इंसान बताया। हजारे ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष का नाम लिए बगैर लेकिन स्पष्ट इशारा करते हुए कहा `पधानमंत्री अच्छे इंसान हैं। पधानमंत्री बुरे नहीं हैं। समस्याएं रिमोर्ट कंट्रोल की वजह से होती हैं।' उन्होंने कहा कि हम सभी को विश्वास हो गया है कि हर सरकार में जनशक्ति सबसे मजबूत होती है। हजारे ने कहा कि अगर लोकपाल विधेयक को 6 अगस्त तक नहीं लाया गया तो वह जंतर-मंतर पर लौटकर आमरण अनशन करेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जो रिमोट कंट्रोल द्वारा देश पर शासन कर रही हैं, निर्विवाद रूप से कांग्रेस की सर्वोच्च नेता और देश की सबसे ताकतवर महिला हैं। पहले पार्टी के भीतर उनके घाघ और मौकापरस्त लोगों से घिरे रहने की कानाफूसी थी, लेकिन अब कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं आरके धवन, बसंत साठे और जाफर शरीफ के हालिया बयानों ने अपत्यक्ष रूप से राहुल गांधी की कार्य पद्धति पर हमला बोल दिया है। वे सोनिया की बेटी पियंका जिनका व्यक्तित्व करिशमाई है, को राहुल गांधी के बदले सकिय राजनीति में लाने की पार्थना कर रहे हैं। इन तीनों के बयानों में दिख रही सतही बातों के अलावा और भी बहुत कुछ हो सकता है। इन तीनों पुरोधाओं द्वारा सोनिया के कांग्रेस संगठन चलाने की नीति के विरुद्ध एक तरह के असंतोष का भी परिचायक है। यह कांग्रेस पार्टी के भीतर नए चलन की शुरुआत के रूप में पतीत हो रहा है, जो अंततोगत्वा गंभीर रूप से सामने आ सकता है। आंध्र पदेश में जगन रेड्डी जीत के बाद सोनिया और राहुल को खुली चुनौती दे रहे हैं। यह तीनों नेता अत्यंत अनुभवी नेता हैं और जिन्हें किसी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक राजनीतिक कुशल माना जाता है, क्योंकि इन तीनों ने उन दिनों में इंदिरा गांधी का साथ दिया जब वे अपने जीवन के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही थीं। इन नेताओं ने सतर्प सोच और कुछ अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं, जो स्वयं के इस्तेमाल होने और तिरस्कृत महसूस कर रहे थे, के साथ विचार-विमर्श के बाद ही बयान दिया इसलिए इन तीनों के बयानों को पार्टी के भीतर तुच्छ नहीं माना जा सकता।
आरके धवन निश्चित रूप से इंदिरा जी के सबसे करीबी थे। राहुल को सावधान करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल अपने पिता राजीव गांधी की तरह गलती को न दोहराएं और राजनीति में पांव पूंक-पूंक कर रखें। राहुल को समझना होगा कि कौन उनका अपना है और कौन उनके कंधे से बंदूक चलाकर अपनी निजी राजनीति चमका रहा है। अपने पिता की तरह उन्हें अपने रिश्तेदारों और करीबियों को तरजीह नहीं देनी चाहिए। धवन के मुताबिक चूंकि राजीव के करीबियों को उनकी अच्छाइयों और खामियों का भी पता रहता था इसलिए उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए उन खामियों को एक्सप्लाइट किया। धवन ने अरुण नेहरू, सतीश शर्मा जैसे नेताओं का नाम ऐसे लोगों के रूप में लिया। कुछ महत्वपूर्ण लोगों का आकलन है बेशक सोनिया जितनी कोशिश करें राहुल शायद ही अगले पीएम के रूप में फिट बैठें?

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