Saturday, 14 May 2011

राहुल की भट्टा-पारसौल सनसनीखेज यात्रा

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
 प्रकाशित: 14 मई 2011
-अनिल नरेन्द्र
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने सनसनीखेज तरीके से उत्तर प्रदेश सरकार के सारे प्रतिबंधों को धत्ता दिखाते हुए एक मोटर साइकिल के पीछे बैठकर बुधवार को तड़के ग्रेटर नोएडा पुलिस और किसानों के हिंसक संघर्ष, स्थल भट्टा-पारसौल गांव पहुंचकर सभी को चौंका दिया। भट्टा-पारसौल में राहुल की सादगी को देखकर हर कोई उनका कायल हो गया। साधारण से कपड़े और चप्पल पहनकर यह कद्दावर नेता बाइक पर सवार होकर बगैर किसी शोरशराबे के, तामझाम के गांव वालों के बीच पहुंच गया। जेड प्लस सुरक्षा होने के बावजूद राहुल आम गांव वालों के साथ ऐसे घुलमिल कर बातें करता रहा जैसे कि वह उन्हीं में एक हो। बुधवार तड़के भी और दिनों की तरह भट्टा और पारसौल गांव के बाहर पुलिस और पीएसी तैनात थी। किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि ऐसे समय में कोई नेता उनके बीच पहुंच सकता है। भट्टा-पारसौल गांव में किसानों की मांगों को लेकर 19 घंटे के धरने के बाद राहुल को यूपी पुलिस ने बुधवार रात हिरासत में ले लिया और उन्हें ग्रेटर नोएडा के कासना थाने में लगभग तीन घंटे बाद निजी मुचलके पर रिहा कर दिया। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह जो सारे समय राहुल के साथ थे, ने कहा कि राहुल ने जमानत नहीं ली और पुलिस ने खुद ही उन्हें रिहा कर दिया।
राहुल गांधी की इस सनसनीखेज यात्रा से कांग्रेसियों में भारी उत्साह और नई ऊर्जा आ गई है। कांग्रेस प्रवक्ता जयंती नटराजन का कहना है कि जब दूसरे दलों के बड़े-बड़े नेता पीड़ित किसानों के आसपास भी नहीं पहुंच पाए हों, राहुल का यूं पहुंचना उनकी किसानों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि अभी तक उत्तर प्रदेश में अपने लिए जमीन तलाश रही कांग्रेस के लिए यह यात्रा एक संजीवनी की तरह है। राहुल के क्षेत्र में पहुंचने, घर-घर जाकर पीड़ित परिवारों से मिलने व किसी ठोस नतीजे तक धरने पर बैठने से न केवल केंद्रीय बल्कि स्थानीय कांग्रेसियों में जबरदस्त उत्साह भर गया है। जेवर क्षेत्र के युवा कांग्रेस सचिव गौरव शर्मा का कहना है कि अब राहुल जी के नेतृत्व में यहां पार्टी किसानों के हितों के लिए अपनी जीजान लगा देगी। उन्होंने कहा कि यदि राहुल गांधी का धरना जारी रहता तो फिर न केवल पश्चिम उत्तर प्रदेश में बल्कि समूचे राज्य में कांग्रेस बसपा सरकार का सबसे बड़ा विकल्प बनकर उभरने में मदद मिलती।
उत्तर प्रदेश राहुल गांधी का गृह राज्य है। वे अपनी सर्वोच्च राजनीतिक प्राथमिकता भी यूपी में कांग्रेस शासन की वापसी बताते हैं। मगर राज्य के नेताओं का जनता से दूर रहना और कार्यकर्ताओं में निराशा घर कर जाने के कारण राहुल का संघर्ष अकसर एकांकी पड़ जाता है। राहुल 2007 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही यूपी के गांव-गांव घूम रहे हैं। गांव जाकर वे किसानों और भूमिहीन दलितों से मिलते हैं। रात को किसी गरीब के आमतौर दलित के घर खाना खाते हैं और वहीं रात बिता भी देते हैं। पिछले चार साल में राहुल ने यूपी में मायावती सरकार के दलित, गरीब विरोधी होने के कई मुद्दे उठाए हैं। मायावती कई बार गुस्से में राहुल पर व्यक्तिगत आरोप तक लगा चुकी हैं। राहुल अपनी यूपी मिशन 2012 पर डटे हुए हैं। इतना जरूर कहा जा सकता है कि यूपी में कांग्रेस समर्थकों की कमी नहीं पर फसल काटने के लिए भी तो मशीनरी चाहिए।

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