Saturday, 7 May 2011

दिग्गी राजा का ओसामा बिन लादेन प्रेम!

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi

प्रकाशित: 07 मई 2011
-अनिल नरेन्द्र
वैसे तो श्री दिग्विजय सिंह एक सुलझे हुए नेता हैं। वह कांग्रेस महासचिव होने से पहले दस साल तक मध्य प्रदेश जैसे राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। उन्हें राजनीति की अच्छी जानकारी है पर पिछले कुछ दिनों से पता नहीं उन पर सैक्यूलरवाद खासकर अल्पसंख्यकवाद का ऐसा रंग चढ़ा है कि न जाने क्या-क्या बोलने लगे हैं। ताजा उदाहरण लखनऊ की एक प्रेस कांफ्रेंस का है जहां आपने दुर्दांत आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को `ओसामा जी' कहकर संबोधित कर दिया। दिग्विजय बोले, `ओसामा जी कई वर्षों से पाक में रह रहे थे। पाक आर्मी ने क्यों कुछ नहीं किया? अमेरिका ने मारने के बाद समुद्र में उन्हें फेंक कर अच्छा नहीं किया, अपने देश में भी मुंबई हमलों में मारे गए लोगों को उनके धर्म के अनुसार दफन किया गया।' दिग्विजय का ओसामा प्रेम अपनी समझ से बाहर है। ओसामा की तारीफ करना, उसकी विचारधारा की तारीफ करना है और इससे किसी भी प्रकार की हमदर्दी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करती है। पूरी दुनिया ओसामा को कोस रही है। तमाम मुस्लिम देश भी उसकी कारगुजारियों की लानत-मनानत कर रहे हैं। लेकिन दिग्गी राजा की चिन्ता कुछ और ही है। वह समझते हैं कि ओसामा को ओसामा जी कहने से भारत के मुसलमान खुश हो जाएंगे और उनकी वाह-वाह करेंगे।
पिछले कुछ महीनों में कभी `हिन्दू आतंकवादी' तो कभी `संघी आतंकवादी' का नाम लेकर हलचल मचाने में दिग्गी राजा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर को उन्होंने फर्जी एनकाउंटर कहा। यही नहीं, वह आजमगढ़ गए और मरने वाले लड़कों के घरों में जाकर उनसे हमदर्दी जताई। यह सब तब हुआ जब दिल्ली पुलिस का एक जांबाज इंस्पेक्टर मोहन चन्द शर्मा इस मुठभेड़ में आतंकवादियों के हाथों मारा गया और दिल्ली की विभिन्न अदालतों ने भी इस एनकाउंटर को सही ठहराया। मुंबई हमलों में मारे गए हेमंत करकरे की हत्या पर भी दिग्गी राजा ने प्रश्न उठाए। पिछले दिनों एक समारोह में दिग्विजय सिंह ने गुजरात का नाम लेते हुए कहा कि आखिर प्रज्ञा ठाकुर और असीमानन्द जैसे लोगों को वहां शरण क्यों मिली है? जो बम बनाते हैं, वह गुजरात में जाकर संरक्षण पा लेते हैं। ऐसे तत्वों को भाजपा सरकारें संरक्षण दे रही हैं। मध्य प्रदेश में भी संघी आतंकियों को शरण दी जाती है। बटला हाउस मुठभेड़ पर फिर से सवाल उठाते हुए उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी से पूछा कि आखिर पकड़ा गया हर आतंकी संघ का क्यों है? लाल कृष्ण आडवाणी को भी घेरते हुए उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक तनाव उनकी रथ यात्रा के बाद से ही पनपा है।
अपने सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि कश्मीर में तिरंगे की दुहाई देने वालों का हमेशा से विभाजन ही मुख्य उद्देश्य रहा है। देश के बंटवारे के लिए मोहम्मद अली जिन्ना नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता वीर सावरकर ही मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। हिन्दू संगठनों को कोसना आजकल दिग्विजय का स्टाइल हो गया है पर आतंकवादियों को महिमामंडित करना अलग बात है। आप ऐसे व्यक्ति, विचारधारा के गुणगान कर रहे हैं जिसने बाकी विश्व के साथ-साथ भारत को भी तबाह करने की धमकी दी थी। आपको देशहित की भी परवाह नहीं, आपको तो केवल परवाह है वोट बैंक की पर इन सबके बावजूद कितना कंसालिडेट हुआ है आपका वोट बैंक यह अलग प्रश्न है।

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