Thursday 5 May 2011

क्या जवाहिरी और मुल्ला उमर भी पाक सेना के संरक्षण में हैं

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 05 मई 2011
-अनिल नरेन्द्र

अमेरिका ने पाकिस्तान के इस दावे को मानने से इंकार कर दिया है कि वह अपनी धरती पर ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी से अनजान था। अमेरिका के डिप्टी नेशनल सिक्यूरिटी एडवाइजर जॉन ब्रेनन ने मंगलवार को कहा कि लादेन जिस देश में लम्बे समय से छुपा था, वहां उसका कोई सपोर्ट सिस्टम ने हो, यह बात कुछ हजम नहीं होती। मैं यह आंकलन नहीं लगाना चाहता कि सपोर्ट सिस्टम किस तरह का हो सकता है, लेकिन अमेरिका मानता है कि वह पाकिस्तान  में छह साल से ज्यादा समय से रह रहा था। लादेन का पाकिस्तान की राजधानी के इतने नजदीक पाया जाना सवाल खड़ा करता है। सीआईए प्रमुख  लियोन पैनेटा ने साफ कहा कि अमेरिकी अधिकारियों को शक था कि पाकिस्तान के साथ काम करने से ऑपरेशन को लीक कर देते। अमेरिका के प्रमुख सांसदों ने पाकिस्तान पर अमेरिका से डबल गेम खेलने का आरोप लगाया है और उन्होंने पाक के लिए अमेरिकी सहायता पर कटौती चाही है। सीनेटर सूसन कालिंस ने कहा कि इस्लामाबाद से सिर्प 120 किलोमीटर दूर लादेन का मारा जाना यह दिखाता है कि पाक हमारा सुनिश्चित सहयोगी नहीं है। उधर पाकिस्तान का कहना है कि लादेन के खिलाफ अमेरिकी ऑपरेशन हमारी जानकारी के बिना अवैध था। उसका यह भी कहना है कि लादेन के खिलाफ ऑपरेशन में सफलता हमारे सहयोग से मिली। मंगलवार रात को जारी पाक सरकार के बयान में कहा गया है कि एबटाबाद और आसपास का इलाका खुफिया एजेंसियों की नजरों में 2003 से था, तभी 2004 में अलकायदा का अहम टारगेट पकड़ा गया। लादेन के परिसर के बारे में आईएसआई ने 2009 में सीआईए को सूचना दी थी। यह बात अलग है कि सीआईए की टेक्नोलॉजी एडवांस थी सो उसने हमसे मिले सुरागों के आधार पर लादेन तक पहुंचने में सफलता पाई। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय का कहना है कि सरकार को अमेरिकी ऑपरेशन की जानकारी नहीं थी। अमेरिकी हेलीकॉप्टर पाकिस्तानी रॉडार की नजरों से बचकर पाकिस्तानी एयरस्पेस में आए थे। सूचना मिलने पर पाकिस्तानी जेटों ने भी उड़ान भरी थी। पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने कहा है कि रविवार को ऑपरेशन में पाक शामिल नहीं था, लेकिन उसके सहयोग से ही लादेन का खात्मा हो सका। उन्होंने कहा कि लादेन की मौजूदगी का पाक अधिकारियों को पता नहीं था। अमेरिका में पाक के राजदूत हुसैन हक्कानी ने माना है कि हमारे देश में लादेन का सपोर्ट सिस्टम था, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने लादेन को बचाने में कोई भूमिका नहीं निभाई थी।
लादेन के पाकिस्तान में ही छुपे होने के बाद यह बात भी साफ हो गई है कि अलकायदा की दूसरी पंक्ति के नेता अल जवाहिरी और तालिबानी नेता मुल्ला उमर भी पाकिस्तानी सेना की शरण में छिपे हैं। ओसामा के मारे जाने के बाद पाकिस्तान पर अब इन नेताओं को भी जिन्दा या मुर्दा पकड़ने का अमेरिकी दबाव बढ़ेगा। इन नेताओं की गिरफ्तारी या मौत के बाद ही आतंकवाद की रीढ़ तोड़ी जा सकती है। इसके साथ ही अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाली अंतर्राष्ट्रीय सेना का मुकाबला कर रहे तालिबान लड़ाकों को भी पाकिस्तानी सेना की मदद बन्द करवानी होगी। ओसामा के मारे जाने के बाद अब आतंकवाद और पाकिस्तानी सांठगांठ पूरी तरह उजागर हो गई। भारत यह बात वर्षों से कहता आ रहा है पर अमेरिका की दोहरी नीति के कारण अमेरिकनों को समझ नहीं आई।

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