Saturday, 14 May 2011

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: भ्रष्ट जजों को बाहर फेंको

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
 प्रकाशित: 14 मई 2011
-अनिल नरेन्द्र
दिल्ली की अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) अर्चना सिन्हा का एक फैसला उन्हें इतना भारी पड़ेगा यह उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के लिए एडीजे अर्चना सिन्हा को न केवल तगड़ी लताड़ ही लगाई बल्कि नाराज बैंच ने दिल्ली हाई कोर्ट को अर्चना सिन्हा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का भी आदेश दिया। मामला कुछ यूं है। सुप्रीम कोर्ट ने 6 अक्तूबर 2010 को अपने आदेश में किरायेदार उधम जैन चैरिटेबल ट्रस्ट, मध्य दिल्ली की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद भी दिल्ली की अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अर्चना सिन्हा ने किरायेदार को बाहर करने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इस पर नाराज बैंच ने कहा कि अर्चना सिन्हा को कोई अधिकार नहीं है कि वह हमारे आदेश को नकार दे और खुद को `सुपर सुप्रीम कोर्ट' साबित करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कहने को विवश होना पड़ रहा है कि अधीनस्थ न्यायपालिका का एक बाहरी हिस्सा बाहरी फायदों के चलते आदेश पारित कर पूरी न्यायपालिका की ख्याति धूमिल कर रही है।
जस्टिस मार्केंडय काटजू ने अपने फैसले में लिखा, `हम उन आरोपों पर कुछ नहीं कहना चाहते जिनमें अधीनस्थ न्यायपालिका क्या कर रही है, यह बताया जाता है। लेकिन हम यह जरूर चाहते हैं कि इस तरह का कदाचार पूरी तरह से खत्म होना चाहिए। अधीनस्थ न्यायपालिका में मौजूद इस तरह के जजों ने पूरी संस्था को बदनाम कर दिया है और इन्हें न्यायपालिका से बाहर फेंक देना चाहिए।' एक समय बैंच ने जज को मौखिक चेतावनी दी और उसे जेल भेज दिया जाएगा या निलम्बित कर दिया जाएगा, लेकिन जज सिन्हा के बार-बार माफी मांगने और दया दिखाने की याचना करने पर मामला अगली कार्रवाई के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया। जस्टिस मार्केंडय काटजू और जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा की बैंच ने कहा, `आप सुप्रीम कोर्ट को मजाक में नहीं ले सकते। लोग जजों को संदेह की नजर से देखते हैं। कहा जाता है कि अधीनस्थ न्यायपालिका के 80 प्रतिशत सदस्य भ्रष्ट हैं जो बहुत ही शर्मनाक है। हमारे सिर शर्म से झुक गए हैं।'
सुप्रीम कोर्ट की इस लताड़ से हम उम्मीद करते हैं कि निचली अदालतें कुछ सीख लेंगी और भविष्य में ऐसी कोई गुस्ताखी नहीं करेंगी जो जज अर्चना सिन्हा ने की है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी कि 80 प्रतिशत अधीनस्थ न्यायपालिका सदस्य भ्रष्ट हैं, भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। सुप्रीम कोर्ट निचली अदालतों में क्या चल रहा है पूरी तरह वाकिफ है और यह टिप्पणी शायद इनमें थोड़ा सुधार करे पर इस दिशा में अभी और बहुत कुछ करना पड़ेगा ताकि निचली अदालतों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सही दिशा में एक सही कदम जरूर है।

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