Sunday 1 May 2011

ईशान की 72 घंटे में बरामदगी, शानदार सफलता

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 01 मई 2011
-अनिल नरेन्द्र
न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके से अपहृत 18 माह के मासूम को 72 घंटे के भीतर अपहर्ताओं से मुक्त करा लेना दिल्ली पुलिस की एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। बच्चे का अपहरण बच्चे के बिजनेसमैन पिता से दो करोड़ रुपये की फिरौती वसूलने के मकसद से किया गया था। अपहरण के 15-20 दिन बाद बिजनेसमैन से फिरौती की मांग की जानी थी। अपहर्ताओं का ख्याल था कि इतना समय गुजर जाने पर पुलिस का दबाव कम हो जाता व बच्चे के परिजन पूरी तरह से टूट चुके होते, अपहरण में बच्चे को घुमाने ले गई नौकरानी व एक पुरानी नौकरानी भी शामिल थी। पुलिस ने उड़ीसा निवासी नौकरानी सविता करकेटा उर्प सीमा (19), अशोक (23), बिहार, नालंदा निवासी मास्टर माइंड कृष्ण देव कुमार उर्प कृष्ण कुमार (32) व पश्चिम बंगाल निवासी अनु आरा बेगम उर्प शांति (35) को गिरफ्तार किया है। सभी को अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें सात दिन के रिमांड पर भेज दिया गया।
महारानी बाग इलाके के बिन्दल हाउस में पार्ट टाइम इलैक्ट्रिशियन का काम करने वाला कृष्ण देव इस पूरी वारदात का मास्टर माइंड था। बिजनेसमैन की मेड प्रतिभा के साथ सगाई कर चुका अशोक किरो पहले कृष्ण व अनु बेगम के साथ मिलकर खिजराबाद न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में प्लेसमेंट एजेंसी चलाता था। छोटा-मोटा काम करके ये सभी परेशान हो चुके थे, इनकी मंशा थी कि कोई बड़ा हाथ मारा जाए जिससे इनकी जिन्दगी बदल जाए। एक माह से प्रतिभा बिजनेसमैन के घर मेड का काम कर रही थी और वहां काम के दौरान वह अच्छी तरह से जान चुकी थी कि उनके पास रुपयों की कोई कमी नहीं। इन सबने एक साजिश के तहत सीमा को बिजनेसमैन विक्रम सिंह के घर कुछ दिन पहले दोपहर के समय मेड का काम मांगने के लिए भेजा। सीमा विक्रम की पत्नी गायत्री से मिली, गायत्री ने थोड़ी बहुत पूछताछ के बाद सीमा को छह हजार रुपये पर काम पर रख लिया। दिल्ली पुलिस आयुक्त बीके गुप्ता ने बताया कि 24 अप्रैल की शाम महारानी बाग इलाके में रहने वाले बिजनेसमैन विक्रम की नौकरानी सीमा उनके 18 माह के बेटे ईशान को पार्प घुमाने ले गई थी। जब वह घर नहीं लौटी तो बच्चे के परिजनों ने मामले की शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने 72 घंटे के अन्दर ही केस सुलझा लिया।
हम पुलिस आयुक्त बीके गुप्ता और साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट को इस बात की बधाई देना चाहते हैं कि उन्होंने इतने कम समय में ही सफलता पा ली। काश! गायब हुआ हर बच्चा और उनके माता-पिता ईशान  के माता-पिता की तरह खुशनसीब होते। पुलिस की मानें तो इस वर्ष ही राजधानी में 551 बच्चे गायब हुए हैं। अप्रैल माह में तो इस तरह के 177 मामले सामने आए हैं जबकि गत वर्ष 2010 तक राष्ट्रीय राजधानी में 17305 बच्चे लापता हुए, जिनमें से 2366 बच्चों को ही तलाशने में कामयाबी मिली। चूंकि अधिकतर गायब बच्चे गरीब तबके से संबंध रखते हैं इसलिए भी पुलिस इनकी रिकवरी पर ज्यादा ध्यान नहीं देती। ईशान का मामला हाई-प्रोफाइल था और लगातार असफलताओं के चलते साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट को भी कुछ  ठोस करके दिखाना था। जो भी हो हम कमिशनर बीके गुप्ता को बधाई देना चाहते हैं कि उनके नेतृत्व में कम से कम दिल्ली पुलिस में थोड़ी गम्भीरता तो आई।

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