Sunday 15 May 2011

ममता की 18 साल पहले ली शपथ पूरी हुई

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi

प्रकाशित: 15 मई 2011
-अनिल नरेन्द्र
18 साल पहले जब बलात्कार की शिकार एक गरीब युवती को लेकर ममता बनर्जी ज्योति बसु (तत्कालीन मुख्यमंत्री) से न्याय मांगने गईं तो पुलिस ने उनका उत्पीड़न किया। उसी रात ममता ने शपथ ली कि जब तक वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ नहीं फेंकती हैं तब तक अपने केश नहीं बांधेंगी। अब ममता अपने केश बांध सकती हैं, उनकी शपथ पूरी हुई। प. बंगाल में वाम मोर्चा साफ हो गया है। परिवर्तन के रथ पर सवार ममता ने वाम मोर्चा के 34 साल पुराने लाल दुर्ग को ध्वस्त कर दिया है और ऐसा करके इतिहास रच दिया है। प्रदेश की जनता को इसी ऐतिहासिक पल का इंतजार था लेकिन इस पल का सबसे अधिक इंतजार ममता को था। 15वीं पश्चिम बंगाल विधानसभा भारी बहुमत के साथ ममता बनर्जी के नेतृत्व में गठित होगी और तीन दशक से अधिक समय तक सत्ता में रहने वाले वाम मोर्चा को विपक्ष में बैठना पड़ेगा। 294 सदस्यीय विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस को 184 पर जीत के साथ अपने बलबूते पर स्पष्ट बहुमत हासिल हुआ है। तृणमूल की सहयोगी कांग्रेस को 42 सीटों पर जीत हासिल हुई है। वाम मोर्चा में सबसे ज्यादा नुकसान माकपा को हुआ है जिसको मुश्किल से 40 सीटें ही मिलीं जबकि सहयोगी फारवर्ड ब्लॉक को 11, आरएसपी को सात, भाकपा को 2 सीटें ही मिल सकीं। निर्दलियों और अन्य ने सात सीटों पर जीत हासिल की। अन्य में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा भी शामिल है, जिसे दार्जीलिंग जिले में तीन सीटों पर जीत हासिल हुई। समाजवादी पार्टी को भी एक सीट मिली जबकि भाजपा का खाता नहीं खुल सका।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का तबसे पतन शुरू हुआ जब से सचिव प्रकाश करात ने कमान सम्भाली है। बड़े-बड़े नेताओं को बेइज्जत करना अब पार्टी में आम बात हो गई है। केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री अच्युतानन्द रहे हों या लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी, इनकी अपनी ही पार्टी ने बेइज्जत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बंगाल में कुशासन, सत्तासीन वाम पार्टियों में निचले स्तर पर फैला भ्रष्टाचार और जन समस्याओं की अनदेखी इसके पतन के कारण रहे। जनता ने निर्णायक जनादेश दिया है। उसने ममता को इतना बहुमत दिया है कि वे अपने दम-खम पर अकेले सरकार बना सकेंगी। ममता बनर्जी और जयललिता के अपने-अपने राज्यों में मुख्यमंत्री बनने से यह पहला मौका होगा जब दश के चार प्रदेशों में महिला मुख्यमंत्री होंगी। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पिछले 12 साल से इस शीर्ष पद पर आसीन हैं और वह सबसे अधिक समय से पद पर बनी रहने वाली महिला मुख्यमंत्री हैं। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं अगर मायावती दोबारा चुनाव जीत लेती हैं तो वह भी लगातार 10 साल राज करेंगी। स्वतंत्र भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी थीं जिन्होंने 1960 के दशक में उत्तर प्रदेश की बागडोर सम्भाली थी। ममता की जीत से केंद्र सरकार में भी फेरबदल होगा, क्योंकि ममता सहित तृणमूल के मंत्री शायद अब अपने राज्य में चले जाएं। नया रेलमंत्री तो जरूर होगा, क्योंकि ममता ने हमेशा से राइटर्स बिल्डिंग का चार्ज चाहा है। उनका यह सपना पूरा हो गया है। प. बंगाल में कॉमरेडों की हार से दुनिया में वाम विचारधारा वाली सरकारों का लगभग सफाया हो गया है। बंगाल ही सबसे बड़ा गढ़ बचा था। चीन जैसे इक्का-दुक्का देशों को छोड़ दें तो दुनिया में वाम विचारधारा का अन्त हो गया है।

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