Thursday 5 May 2011

जेरोनिमो ईकेआईए सुनने को थे बेकरार ओबामा

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
प्रकाशित: 05 मई 2011
अनिल नरेन्द्र
एक बार जब यह सुनिश्चित हो गया कि एबटाबाद के एक घर में ओसामा बिन लादेन छिपा हुआ है तो अमेरिकी सुरक्षा विभाग ने राष्ट्रपति बराक ओबामा को दो विकल्प दिए। पहला कि इमारत परिसर को बमों से उड़ा दिया जाए, दूसरा कि जमीनी हमला करके उसे तबाह कर अन्दर सभी लोगों को मार दिया जाए या गिरफ्तार किया जाए। बराक ओबामा ने दूसरा  विकल्प चुना। उन्होंने कहा कि जमीनी हमला करो ताकि हम सब और सारी दुनिया में यह निश्चित रूप से निर्णायक रूप से तय हो जाए कि ओसामा बिन लादेन ही छिपा है और हमला उसी पर किया गया है। इस काम के लिए प्रतिष्ठित नेवी सील की एक विशेष टीम चुनी गई। अफगानिस्तान के अमेरिकी बैस से हेलीकॉप्टरों ने उड़ान भरी। भारतीय समयानुसार रात दो बजे चार हेलीकॉप्टरों ने हवेली की घेराबंदी शुरू कर दी और यह सारी कार्रवाई राष्ट्रपति ओबामा, विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और टॉप कमांडर व्हाइट हाउस के बेसमेंट में सिचुएशन रूम में बन्द होकर खुफिया वीडियो क्रीन पर देख रहे थे। यूएस नेवी सील्स के जवानों के हेलमेट पर कैमरे लगे थे। ओबामा बेसब्री के साथ लादेन के मारे जाने से संबंधित कोड मैसेज मिलने का इंतजार कर रहे थे। यह मैसेज था, जेरोनिमो ईकेआईए। सीआईए के डायरेक्टर लियोन ई. पैनेटा ने कहा कि हमें जेरोनिमो दिखाई दिया है। इसके कुछ ही मिनट बाद उन्होंने कहा कि जेरोनिमो ईकेआईएस यानि एनिमी किल्ड इन एक्शन। लादेन की बाईं आंख पर गोली मारी जा चुकी थी। ओबामा ने कहा वी गाट हिम।
दरअसल राष्ट्रपति ओबामा ने राष्ट्रपति का पद्भार सम्भालते ही सीआईए के डायरेक्टर लियोन पैनेटा को आदेश दिया था कि मुझे 30 दिन के अन्दर एक ऐसा प्लान चाहिए जिसमें ओसामा लादेन को या तो जिन्दा पकड़ा जाए या फिर मुर्दा। सीआईए ने अगस्त 2010 में प्लान तैयार कर लिया था। आतंक का दूसरा नाम बन चुका बिन लादेन कहां रहता है, यह जानकारी अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को एक कार का पीछा करते हुए मिली। सफेद रंग की सुजुकी कार को पिछले साल जुलाई में पेशावर के निकट देखा गया था। कार में बैठा था अलकायदा प्रमुख लादेन का सबसे विश्वस्त संदेशवाहक, जिसका अमेरिकी खुफिया अधिकारी कई महीनों से पीछा कर रहे थे। समाचार चैनल सीएनएन के मुताबिक संदेशवाहक का नाम अबू अहमद था और वह कुवैती नागरिक था। उसकी जानकारी हालांकि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को 2007 में ही मिल चुकी थी। न्यूयार्प टाइम्स के मुताबिक सीआईए के लिए काम करने वाले पाकिस्तानी जासूस ने पिछले साल जुलाई में पेशावर के निकट अहमद की सफेद कार देखी थी और उसका पीछा किया था। कई सप्ताह तक कार का पीछा करने पर जासूस को एबटाबाद के एक बंगले का पता चला। यह बंगला अभी चार दिवारियों से घिरा हुआ था। यह स्थान इस्लामाबाद से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जब कमांडो कार्रवाई हुई उस समय अहमद भी एबटाबाद की इस इमारत में मौजूद था और मारा गया। बिन लादेन सबसे छोटी पत्नी और बेटे सहित दो संदेशवाहकों के साथ रह रहा था। इस हवेली की 18 फीट ऊंची दीवारें थीं जिसमें आने-जाने के लिए कम रास्ते थे और सड़क कच्ची थी। 4.4 करोड़ रुपये कीमत की हवेली थी लेकिन उसमें फोन या इंटरनेट नहीं था। मोबाइल तक भी नहीं था। इस तरह हुआ ओसामा बिन लादेन का अन्त।

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